आप सभी को ईद की हार्दिक बधाई हम दुआ करते है कि् यह ईद आपके लिए अनेको खुशीयां लाये 


 इस ईद पर SHRI DURGA DEVI BLOG की ओर से हमारे सभी मुस्लिम भाईयो के लिए यह स्टोरी उपहार के रुप मे है उम्मीद करते है कि् यह आपको पसंद आयेगी


 

STORY NAME  - Dargah on the way to the railroad 

                             रेल की पटरी के रास्ते मे दरगाह


 

यह कहानी है लखनउ शहर मे रहने वाले एक लड़के की जो हमेशा से स्वयं को मुसीबतो मे धीरा हुआ पाता था कभी कोई आर्थिक परेशानी तो कभी कोई शारिरीक, हमेशा वह स्वयं को धरातल पर ही पाता था


लखनउ शहर का निवासी उदय सिंह एक ठाकुर परिवार मे जन्मा लड़का था जन्म से ही उसने केवल दुख ही भोगे थे कभी धन की कमी तो कभी कोई परेशानी, उसे सदैव दुखो का सामना करना पड़ता था उदय सिंह का जन्म एक निर्धन परिवार मे हुआ था वह हमेंशा से निर्धन नही थे कभी वह अमीरो मे गिने जाते थे परन्तु जब उदय सिंह के पिता,  महेन्द्र सिंह ने विवाह किया तो न जाने क्यो उन पर गरीबी आ गयी महेन्द्र का  व्यापार था परन्तु न जाने क्यो वह व्यापार धीरे-धीरे नष्ट हो गया व उनके इतने बुरे दिन आ गये कि् एक वक्त की रोटी का इन्तजा भी बड़ी कठिनाई से हो पाता था कुछ समय बाद उदय सिंह का जन्म हुआ परन्तु उससे भी कुछ खास असर नही हुआ उनकी गरीबी समय के साथ-साथ भयानक रुप ले रही थी उदय सिंह स्कूल के बाद पोस्टर लगाना, चुनाव के पर्चे बाटना, जैसे छोटे काम कर कुछ धन कमा धर की जरुरतो को पूरा करता था समय के साथ साथ अब उयसिंह भी बड़ा होने लगा था अब उसने ईण्टर की परिक्षा दे दी थी परन्तु उसके बाद भी उसे कही कोई उममीद नजर नही आ रही थी जब रिजल्ट आता है तो उदय सिंह अच्छे नम्बर से पास होता है

 


    परन्तु जहां दूसरे बच्चो  को अच्छे नम्बर लाने की खुशी थी वहां उदय सिंह को इस बात की चिन्ता थी कि् आगे की शिक्षा के लिए धन कहां से आयेगा उसने पूर्व की शिक्षा सरकारी स्कूल से करी परन्तु अब दाखिले के लिए उसे अधिक धन की आवयश्क्ता थी और वह धन कहां से आये उसे उसका कोई स्त्रोत मिल नही पा रहा था उसके पिता सिक्योरीटी गार्ड थे परन्तु वह इतना भी धन नही कमा पाते थे कि् उचित प्रकार से अपने धर का लालन पालन कर पाये उदय सिंह जब धर के अन्दर जाता है तो पाता है कि् उसकी माता आ प्रश्न करती है -


गोमाती - बेटा कैसा आया रिसल्ट ?


उदय - मै अच्छे नम्बरो से उत्तीर्ण हुआ हुं


उदय उदास होकर बैठ गया


गोमाती - क्या हुआ उदास होकर क्यो बैठे हो ?

उदय - पता नही कॉलेज के लिए पैसे कहां से आयेंगे ?


गोमाती - तुम चिन्ता क्यो करते हो कुछ न कुछ हो ही जायेगा

     

तुम जाकर कॉलेज मे पता तो करना


उदय - ठीक है माता


अगले दिन उदय कॉलेज जाता है वह कॉलेज मे जा द्वार  पर जा खड़ा हो देखने लगता है व पता करता है वहां उसे एक टीचर मिलता है उदय उससे प्रश्न करता है परन्तु वह उसे डाट देता है व कहता है कि् इतना नही पता कि् पहले साइबर कैफे मे आवेदन करते है फिर कॉलेज लिस्ट निकालता है फिर यदी उसमे नाम आता है तो उसके बाद स्कूल के कागज लेकर आने पड़ते है फिर फीस जमा होती है


उदय - सर फीस कितनी है


टीचर - क्या करना है


उदय - सर बी कॉम


टीचर - 5000 या 4000 लगेंगे अब जाओ यहां से भीड़ न बनाओ


उदय को बेजती महसूस होती है फिर वह दूखी मन से धर जाने लगता है परन्तु रास्ते मे उसे पूराने स्कूल के लड़के मिल जाते है


लड़का - अरे देखो क्लास का टॉपर आया है अबे भिखारी तेरे पास पैसे भी है फीस के, अब तेरी जिन्दगी खराब हो जायेगी क्योकि् तेरे पास फीस हेतु धन नही है अब तू चपरासी का काम करेगा


इतना कह वह उसे धक्का दे चला जाता है


उदय पूर्ण रुप से टूट चूका था व अब वह रोने लगा था तभी एक छोटी सी बच्ची आती है व उसके आंसु पोछती हैं


बच्ची - तू चिन्ता क्यो करता हैं मै हुं न अब तू धर जा, चिन्ता मत कर


उस लड़की की भाषा सुन न जाने क्यो उसे अपना जैसा महसूस हुआ वह धर जाने लगा परन्तु तभी उसे लखनउ के चारबाग स्टेशन पर मन मे बूरे विचार आना शुरु हो गये वह चलती ट्रेन को देखता जा रहा था व तभ्ज्ञी उसने सुसाइड का सोच लिया वह  ट्रेन के आगे कूदने ही वाला था कि् तभी उसकी नजर एक अदभूद चीज पर गयी उसने देखा की बीच पटरी मे एक मजार बनी थी जहां सब हिन्दू - मूस्लिम भक्ति भाव से जा रहे थे उसके मन मे विचार आया कि् यह पटरी के रास्ते मे दर्गाह कैसी? उसने पास बैठे एक फकीर बाबा से पूछा कि् बाबा यह कैसी मजार है वह हसा व उत्तर दिया


फकीर बाबा - पूत्र यह मजार की कहानी बड़ी रोचक है बहुत वर्ष पहले जब अंग्रजो का शासन था तब यहां पटरी बिछाई जा रही थी लेक्नि जैसे ही इस मार्ग पर पटरी बिछाई तो कुछ अजीब हुआ अंग्रेज पूरे दिन पटरीयां बिदाते व रात मे न जाने कैसे पटरीयां उखड़ कर सुबह दूसरी ओर फीकी मिलती, अंग्रेज अधिकारी को लगा भारतीय उसे बेवकूफ बना रहे है व वह रात मे यही सो गया उसने रात मे देखा कि् खुद ही पटरीयां हवा मे उड़ी व दूसरी ओर जाकर गिर गयी अधिकारी ने हाथ जोड़ दिये फिर उसने किसी जानकार से पूछा तो उसने बाताया कि् यह किसी महान खम्मन पीर बाबा की जगह है उस अंग्रेज अधिकारी ने उसे स्थान पर खुदाई कराई तो उसे कुछ पत्थर मिले उसने वहां एक मजार बनवाई व जगह भी छुड़वाई व बगल से पटरी बिछाई तब से हिन्दू हो या मुस्लमान हर कोई इस जगह पर दुखो के निवारण हेतु आता है


उदय का मन खुश हो गया उसने जा कुछ प्रसाद लिया व दुआ मांगी कि् मेरे जीवन से दुखो को दूर कर दे व माथा टेका व जाने लगा

 

        उदय जैसे ही मुड़ा व धर के रास्ते मे आगे जाने लगा वह एक सुनसन रोड पर आ गया तभ्ज्ञी उसके पीछे से हवा का चक्रवात बना व वह एक फकीर बाबा मे बदल गया उसने उदय को आवाज लगाई उदय रुक गया


फकीर बाबा - पुत्र कहां जा रहे हो


उदय - धर जा रहा हुं


फकीर बाबा - तुम परेशान लग रहे हो


उदय - हां क्या करु बचपन से ही मुसीबते देखी हैं


फकीर बाबा -  तुम जानना चाहते हो यह मुसिबते क्यो है ?


उदय - हां बाबा


फकीर बाबा - पुत्र तुम्हारे पूर्व जन्म के कर्म ऐसे थे जिनका तुम्हे फल मिल रहा था पुत्र तुम्हारे धर मे देवी आदिपराशक्ति की पूजा होती थी जिससे तुम्हारे पविर पर सुख व सम्रधि का आशीष था परन्तु तुम्हारी माता से विवाह के पश्चात तुम्हारे पिता ने पूजा करना त्याग दिया क्योकि् तुम्हारी माता पूजा-पाठ मे विश्वास नही करती थी देवी की कर्पा तुम्हारे परिवार के उपर से चली गयी जिससे संसार की बुरी शक्तियां तुम्हे दुखी करने लगी तुम्हारे धर मे आज भी कभी-कभी ही पूजा होती है व निर्धनता ने तुम्हारे धर मे आवास बना लिया हैं तुम जानते हो मार्ग में तुम्हे जो छोटी बच्ची मिली थी वो माता दुर्गा थीं उन्होने सदैव तुम्हारी व तुम्हारे परिवार की रक्षा करी तुम लोगो ने उन्हे भूला दिया परन्तु उन्होने तुम्हे नही भूलाया


उदय - बाबा इससे निकलने का क्या रास्ता हैं


फकीर बाबा - अत्यन्त आसान रास्ता है तुम अपने धर जाओ व मन्दिर को साफ करो व तत्पश्चात पूरे धर की साफाई करो उसके बाद तुम देवी माता की अराधना करो उनके कवच का पाठ करो उनका चालिसा पठो व उनकी आरती पठो, उसके बाद महादेव की आरती पढो ऐसा रोज करो

  इससे तुम्हारे धर के ईष्ट प्रसन्न होंगे बाकी सब मे बाबा सम्भाल लेंगे वह तुम्हारे जीवन से दुखो को दुर कर देंगे


उदय - वैसे बाबा आप है कौन ?


फकीर बाबा - पुत्र अभी-अभी तुमने जहां दुआ मांगी है न, मै उनका एक दूत हुं अब तुम धर जाओ




                उदय ने धर जा अपने मन्दिर को साफ किया उसके बाद पूरे धर को साफ किया उसके बाद स्नान कर उसने देवी की अराधना करी व बाद में महादेव की पूजा करी उसके बाद से उसने नितय यह ही करना शुरु कर दिया वह सुबह योग करता फिर पूजा करता, धीरे-धीरे उसके धर मे सम्पन्नता आने लगी उसके पिता व उसने एक दूकान खोल ली जिसमे उन्हे लाभ होने लगा कॉलेज मे आवेदन करने के बाद प्रथम लिस्ट मे ही उसका नाम आ गया व उसने दाखिला ले लिया उसने मन लगा कर पढाई करी व तीन साल बाद वह अच्छे नम्बरो से पास हुआ 

 

 

 


 

 

उसने उसके बाद आर बी आई बैकं मे आवेदन किया व उसकी तैयारी की तथा उसने सभी पेपर पास कर ग्रुप बी ऑफिसर की नोकारी पा ली उसका जीवन सवर गया 

 


जब उसने देवी माता के हक आदि उन्हे दे दिये तो उसे उस फकीर बाबा का स्मरण आया वह उठा व दरगाह की ओर चला गया उसने वहां माथा टेका व चादर चढाई व गरीबो मे प्रसाद बाटां उसने देखा कि् सभी को प्रसाद दे दिया है लेक्नि एक बचा है जो एकांत मे बैठा है वह उसके पास गया व उसे प्रसाद देने लगा जैसे ही उस व्यक्ति ने अपना मुहं दिखाया ,उदय हैरान हो गया वह वो ही फकीर बाबा था


उदय - आप ?


फकीर बाबा - हां मै प्रसाद नही देगा ?

 

उदय - बाबा जरुर, 

उदय उन्हे प्रसद देता है व उनके बगल मे बैठ जाता है व पूरा परिवर्तन बताता है फकीर बाबा हसते है

उदय - बाबा मेरा जीवन  पीर बाबा ने संवार दिया

फकीर बाबा - पूत्र यही तो बात है तुमने कभी देखा है यहां हिन्दू-मुस्लिम सभी आते है क्योकि् कोई भी चाहे किसी भी धर्म का हो ईश्वर के धर सभी को आने की ईजाजत होती है तुम हिन्दू हो फिर भी तुम्हारी दुआ कबुल हो गयी क्योकि् तुम्हारा मन सच्चा था

                हिन्दू देवी-देवता हो या मुस्लिम अल्लाह के बंदे वह हर उस मानव की सहायता करते है जो उनसे मदद मांगता है परन्तु आज का समाज यह समझ नही पाता है व जात-पात मे ही लड़ता रहता है वह यह नही समझ पाता कि् ईश्वर एक है व हम सब उसी के आधीन है धर्म हमें कभ्ज्ञी अलग नही करता बल्कि एक करता है हम उस परम ईश्वर की संताने है वह ईश्वर सबका है व सब उसके


         कुछ मानव अपने हित हेतु समाज मे बटवारा करते है व समाज बट भी जाता है किसी को सिख मे बाट दिया तो किसी को हिन्दु में, कोई भी धर्म हमें यह नही कहता कि् दूसरे धर्म के मानव को मार दो परन्तु फिर भी मानव जलन की भावना रखता है पुत्र तुम हमेशा जीवन मे यही संदेश देना कि् सभी धर्म उस परम ईश्वर के है व हम सब उसी के है यदी तुम्हे दिवाली पर कोई हिन्दू दिखे जिसे मदद की जरुरत हो तो अवश्य सहायता करना व ईद पर कोई मुस्लिम मिले व उसे तुम्हारी जरुरत हो तो कभी मुहं मत फेरना, बच्चे उस परमात्मा को बुरा लगता है जब हम आपस मे लड़ते है इसीलिए सभी के लिए प्रेम की भावना रखना


उदय उस बाबा के पैर स्पर्श कर लेता है तब से उदय अपने जीवन मे हर धर्म का सम्मान करता है वह ईद मे मुस्लिम जश्न मे शामिल होता है व अन्य धर्म की खुशी मे उनमे लि जाता था व हर किसी की सहायता करता था



संदेश - हमें हर एक धर्म का सम्मान करना चाहिये व सभी धर्मा के पवित्र स्थानो पर माथा टेकना चाहिये क्योकि् जब हम किसी धर्म के आगे झूकते हैं तो हम ईश्वर के समक्ष झूकते हैं


तो आपको हामरी यह कहानी कैसी लगी कमेंट कर बाताये यह कहानी में जिस दरगाह का वण्रन है वह वास्तविक हैं व उसकी यह कहानी भी वास्तविक थी कि् वह पटरीयो के बीच मे बनी है व उस अंग्रेज अधिकारी ने सच्चाई देख वहां दरगाह बनवाई थी