राम जी की कहानी
यहकहानी मे राम जी ने वर्तमान समय मे एक भक्त को दर्शन दे धर्म का कैसे दिया इसका वर्णन है
वायुत्स, एक सनातन धर्म का नवयुवक था बचपन से ही वह पूजा पाठ मे लीन रहता था समय के साथ जैसे - जैसे वह बड़ा हुआ उसे लगने लगा कि् मुझे भगवान का कार्य करना चाहिये वह इस ईच्छा से एक एक संगठन से जुड़ गया व सेवा करने लगा वह एक पढा निखा युवा था तत्पश्चात समय बित्ता गया व इस समय मे उसकी मित्रता कुछ ऐसे युवको से हो गयी जो सनातन धर्म के तो थे परन्तु उसकी नीति नही जानते थे वह अन्य धर्म के प्रति हीन भावना रखते थे व उस वर्ग के लोगो का भी तिरस्कार करते थे उनके साथ रह, वायुत्स भ्रम मे आ गा उसे लगने लगा की राम की सेवा अन्य धर्म से उनकी रक्षा है व सनातन धर्म का एक फैलाव अवश्यक है वह अन्य धर्म के लोगो से नफरत करने लगा व अपने जीवन मे ऐसे कर्म करने लगा जिससे अन्य वर्ग के उन लोगो को दिक्कत हो जो कि् सनातन धर्म के नही है
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एक दिन स्वर्ग मे विराजमान राम जी का दिल चाहा की क्यो न धरती लोक पर विचरण किया जाये, वह वायुत्स को सही मार्ग पर लाना चाहते थे वह स्वर्ग से सीधे धरती लोक पर आ गये उन्होने एक बालक का रुप ले लिया व पेड़ के पास बैठ गये
वायुत्स अपने साथियो के साथ गैर सनातन धर्म के क्षेत्र मे रैल करने जा रहा था उन सबने गले मे भगवा चौला व हाथ मे राम नाम की माला पहनी थी व जय श्री राम के नारे लगा रहे थे तभी वहां पर एक पेड़ की डाल सड़क पर गिर गयी जिससे वह सब वही रुक गये उन्होने फोन कर नगर निगम को सूचित किया व वहां के कर्मचारी आ वहां से मार्गठीक करने का काम करने लगे बाकी सब ईधर उधर हो बाते करने लगे व इतजार करने लगे तभी वायुत्स की नजर दूर बैठे एक बच्चे पर जाती हे वह देविये लग रहा था वायुत्स उसके पास खीचा चला गया व जा उसके समीप बैठ गया
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वायुत्स - पता नही यह कब हटेगा
बच्चा - क्यो क्या हुआ ?
वायुत्स - हमें राम के काम के लिए जाना है
बच्चा - कौन राम ?
वायुत्स - किस धर्म के हो ?
बच्चा - बच्चे का तो कोई धर्म नही होता, वह तो ईश्वर का रुप होता है
वायुत्स उसे देखने लगा
वायत्स - भगवान राम के काम मे बाधा हो गयी
बच्चा - अच्छा तो आप भगवान के काम के लिए जा रहे है
वायुत्स - पास के क्षेत्र मे गैर धर्म का ईलाका है वह राम का सम्मान नही करते हम वहां जा नारे लगायेंगे व पर्चे बाटेंगे और अगर उन्होने राम का अपमान किया तो हम उनको शिक्षा देगे कि् राम क्या है
बच्चा - अच्छा ऐसी बात
बच्चा- कयो गलत राह पर जा रहे हो ?
वायुत्स - बेटा तुम अभी बच्चे हो तुम नही जानते,
बच्चा - अच्छा कभ्ज्ञी स्कूल गये हो
वायुत्स - हां मै वहां का टौपर हुं
बच्चा - तुम्हारे कूल मे कई कलासे होंगी कुछ विज्ञान की , कुछ इंगलीश की , कुछ इतिहार की व आदि
वायुत्स - हां
बच्चा - हर कक्षा मे अलग ज्ञान दिया जाता है या एक सा
वायुत्स - हर कक्षा मे अलग ही ज्ञान मिलेगा
बच्चा - तो क्या उनमे से कोई गलत है
वायुत्स - नही, सब सही है लेक्नि उनकी क्षाखये अलग है
बच्चा - अच्छा वो सब किसके द्वारा चलायी जाती है
वायुत्स - वह सब प्रींसीपल द्वारा समभाली जाती है
बच्चा - अच्छा एक कक्षा का अपमान करे तो
वायुत्स - तो सभी काक्षाओ के टीचर और प्रींसीपल दोने गुस्सा हो जायेंगे
बच्चा - कुछ समझे ?
वायुत्स - क्या ?
बच्चा - जिस प्रकार यह स्थिति है उसी प्रकार धर्म भी है सभी धम अपनी अपनी जगह सही है व सब धर्म उस परम ईश्वर के है व यदी एक का अपमान करे तो सभी धर्म गुस्सा हो जायेंगे व परम ईश्वर का अपमान होगा
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वायुत्स चुप हो जाता है व सोचने लगता है
वायुत्स - लेक्नि कुछ धर्म के लोग हमारे विरुध है तो क्या हम चुप रहे
बच्चा - उस धर्म मे भी मानव ही है व वो भी तुम्हारी तरह भटके हुए है वह स्वंय के धर्म के सिद्वानत जानते है परन्तु वो जो दूसरो के बाताये है वह खुद आत्मचिंनत नही करते है यदी करते तो ऐसा नही होता
वायुत्स की सासे तेज हो जाती है क्यो कि् उसके सिद्वान्त बदलने लगे थे
बच्चा - डरो मत पुत्र
वायुत्स - मुझे डर लग रहा है तुम तो एक बच्चे हो यदी मै गलत था तो सही मार्ग क्या है
वायुतस धबराहट से नीचे गिर जाता है बच्चा उठ उसके कंधे पर हाथ रखता है व अपना विराट रुप दिखाता है हाथ मे धनुष सर पर तेज था वायुत्स नतमस्तक हो जाता है
राम जी - पुत्र यह मेरा विराट रुप है जिसके दर्शन मैन तुम्हे दिये परन्तु मै ज्ञान तुम्हे मित्र बन दूंगा
वह बच्चे के रुप मे आ जाते है
बच्चा - पुत्र वर्तमान समय ऐसा युग है जहां मानव धर्म के मूल को भूल गया है महाभारत काल मे कर्म के अनुसार बाटे वर्ग को भ्रम से जाति से समझने से महाभारत हो गयी थी आज के समय मे मानव धर्म के मूल अर्थात दया व मदद के भूल उनके सिद्वान्तो को कटु भावना से मानने लगे है व अन्य धर्म के लोगो से जंग करने लगे है जो विनाया ला रही है
वायुत्स - तो हमें क्या करना चाहिये ?
बच्चा - अपने धर्म के हो सभी धर्म का सम्मान करो व अपनी भक्ति भावना मे होकर सभी मानव का भला करने का प्रयास करो
वायुत्स - तो हमारा क्षत्रु कौन है
बच्चा - अधर्म, आज के युग मे बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पाप इतना बढ गया है कि् मानव को कष्ट दे रहा है इन सबका नाश करो
अपने आस-पास के लोगो की सहायता करो, व देश मे व्यापत बुराई को मिटाओ सभी को एकता का महत्व बाताओ सभी को सुविधाये दिलवाओ व सदैव जय श्री राम कह लोगो की मदद करो, ऐसा मनोभाव ले आओ की जब भी जय श्री राम का नारा लगे तो सभी धर्म के मानवो के लगे की हां हमारी रक्षा के लिए सनातन धर्म का भक्त है जिससे एकता बने व सभी का उद्वार हो उदाहरण के तौर पर तुम अभी गैर - सनातन श्रेत्र मे जा रहे थे जहां के लोग सनातन धर्म का अपमान करते है
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तो अब तुम जाओ परन्तु हथियार ले नही बल्कि खाने की चीजे लेकर वहां जाकर सभी को बाटो उस श्रेत्र मे उत्तम वर्ग ने छोटे वर्ग को बहका कर अपना मार्ग बनाया है वहां दरिद्रता है उनके पास रोज गार नही है उनके बच्चो के पास शिक्षा नही है व हर तरफ मायूसी है उम्मीद है तु मसमझ गये होगे अब मै चलता हुं लेक्नि चिन्ता मत करो मै तुम्हारे साथ ही रहुंगा
वायुत्य नतमस्तक हो जाता है व बच्चा गायब हो जाता है तभी उसका साथी आवाज लगाता है वह पाता है कि् सब ठीक हो गया है वायत्स जा उन सभी को सुधार की ओर ले जाता है
वह वाहनो को वही खड़ा कर देता है व हथियारो की जगह खाने की चीजे, कपड़े आदि ले जाते है वह सब जय श्री राम नारे लगाते हुए जाते है व अपने साथ सफाई सेवको को भी ले जाते है वह वहां जो खोन की चीजे बाटते है व उनके दुखो को सुनते है
वह वहां की साफ-साफाइ कराते है उनके यहां जो बेरोजगार थे उनको रोजगार दिलवाने का प्रयास करते है व उनके बच्चो का नाम स्कूलो मे कराते है व सरकार की योजना से सम्बन्ध्ण करा उनको लाथ देते है उस दिन उन लोगो को जय श्री राम के नारे सुन लग रहा था की यह भगवान हमारे साथ है उनको लग रहा था कि् हमारी रक्षा के लिए कोई है
वायुत्स ने ऐसा ही कार्य किया व राजनीति मे चला गया व राम की कर्म भक्ति करने लगा
समाप्त
यह कहानी आपको धर्म को समझने मे मदद करेगी
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