मनुष्य को जीवन मे विकास, प्रगती व दुखो मे किस प्रकार आगे बढना चाहिए ?
 
 
How should a human being progress in life, progress and misery?

 

 
एक बार फिर से आपका हमारे  ब्लॉग मे स्वागत है आज हम वो लेख प्रस्तुत करेंगे जिससे आपके जीवन के उन प्रश्नो के उत्तर आपको मिलेंगे जिससे आप जीवन मे न केवल उन्नति करेंगे अपितु आप श्रेष्ट हो जायेंगे तो दोस्तो मुझे विश्वास है आपको इससे जरुर फायदा होगा

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जीवन मे विकास व प्रगति का महत्व


 
जीवन मे यदी विकास व प्रगति नही हुई तो हमारा जीवन नीरस ही नही बल्कि नष्ट हो जायेगा यदी मानव सभ्यता ने विकास करना त्याग दिया तो हमारी सभ्यता स्थिर हो जायेगी जिसप्रकार कोई देश कभी पूर्ण रुप से विकसित नही होता है बल्कि उसे एक तय मानक से उपर प्रतिशत विकास पा लेने से विसित देश  कहते है उसी प्रकार मानव के व्यक्तिगत जीवन मे भी यही है वह कभी पूर्णरुप से विकसित नही हो सकता अतः इसप्रकार हम जीवन मे विकास का महत्व समझ सकते है विकास व प्रगति काफी हद तक मिलती है  विकास जहॉ बड़े स्तर पर उपलब्धि होती है वही प्रगति निरन्तर रुप से विकास पथ पर अग्रसर होने को कहते है 
 
 

 
 
           दुख एक एसी चीज होती है जो सभी के जीवन मे होते है कुछ के जीवन मे ज्यादा तो कही कम , लेक्नि होते जरुर है दुख एक ऐसी चीज है मानव के विकास पथ मे आती जरुर है इसका आना तय है लेक्नि अब बात यह बनती है कि् इस दुख नामक शत्रु से बचा कैसे जाये ? तो मै साफ बता दु इससे बच नही सकते इसका केवल सामना कर सकते है आप को कई लोग मिल जायेंगे जो कहेंगे कि् दुखो का डट कर सामना करो जो कुछ  हद तक सही भी है परन्तु हर बार हम यह नही कर सकते तो इसका अन्य मार्ग क्या है ?, क्या दुखो का सामना कर आगे बढा जा सकता है तो उत्तर है हाँ,
                            
       
 
जीवन मे दुखो से लड़ने  का मार्ग

 
यदी आप जीवन मे दुखो से लड़ आगे बढना चाहते है तो आपको सबसे पहले जानना होगा कि् दुखो के क्या कारण होते है दुखो के कई कारण होते है जैसे -

 
- पूर्व जन्म मे किये पाप

 
- वर्तमान जन्म  मे किये पाप

 
- स्वयं के अवगुण

 
- धर के ईष्टो का बिगाड़

 
- ईश्वर हमसे कुछ बड़ा कार्य कराना चाहता हो व हमें प्रेरित करने हेतु दिये दुख
 
 
- हमारे द्धारा दुसरो का अहित करना

आदि ।


 
 
यह सब दुखो के कारण हो सकते है तो अब प्रश्न उठता है कि् हम क्या करे ?
 
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सर्वप्रथम आपको स्वयं की परिस्थितियो का आकलन करने की आवश्यक्ता है आप एकान्त मे बैठे व चिंतन करे कि् कही मैने अराधय अपराध तो नही किया या किसी ईष्ट को नाखुश तो नही किया या मै पापी तो नही या फिर अन्य कोई कारण, वैसे यह चिंतन तभी ही आवश्यक है जब कोई बड़े दुख मे हो

अब यदी आपको कारण पता चल गया है तो आप उपचार करीये यदी अराधय रुष्ट है तो खुश करीये, यदी अपराधी है तो क्षमा मागं करीये या अगर आपमे कोई अवगुण है तो गुणवान बनिये
    स्मरण रहे मैने आपको चिन्तन करने को कहॉ है न कि् वहमी बनने हेतु अर्थात आप ऐसा मत करीयेगा कि् अंधविश्वासी हो जाये
                     मुझे विश्वास है कि् अगर आपकी इनमे से कोई कारणवष    दुख आये होगें तो अवश्य आप अच्छा महसूस करेंगे परन्तु यदी आपके दुख इस कारण न आये हो बल्कि् यह दुख वो हो जो इनप्रकारो के कारण से न हो तो क्या किया जाये ?
 
यदी ऐसा है तो भी आपके पास मार्ग है देखीये जीवन मे दुख - सुख तो बने ही रहते है परन्तु मानव चाहे तो वर्तमान सुधार कर अपने भविष्य को बेहतर बना सकता है लेक्नि इसके लिए भी एक रास्ता है जिससे आप चाहे तो जीवन मे दुखो से लड़ आगे बढ सकते है  
          
    
 स्वस्थ दिनचर्या

 

 
हमारे सनातन धर्म मे बताया गया है कि् मानव को अपने दिन भर मे कया करना चाहिये मै यहॉ आपको छोटे रुप मे बताउंगा कि् आप क्या कर सकते है 
 


           सर्वप्रथम आप जल्दी उठने की आदत डालिये  जब हम सूर्य उदय से पहले उठते है तो हमारे बल मे व्रद्धि 
होती है चाहे मानसिक हो या शरीर का, तत्पश्चात आप योग करीये, योग से एक मानव शरीर मे  जितनी शक्ति होती है हम उसका उपयोग कर सकते है तत्पश्चात आप अपने अराधय का पूजन करे आपकी आधी मुसीबते तो तभी सही ही हो जायेंगी इसके बाद आप अवगुणो को त्यागने का प्रयास करे इसके बाद आपको वैसे तो स्वयं ही जीवन मे विकास व प्रगति पर चलने का मार्ग मिल जायेगा लेक्नि मै फिर भी बता दु कि् प्रगति आदि के मार्ग पर चलने का क्या विज्ञान होता है ?
          
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विकास व प्रगति पर निरन्तर चलने का ज्ञान

 

 
 
 

 
कोई भी सामान्य व्यक्ति यह ही कहेगा कि् विकास के मार्ग पर डट कर चलना याहिये लेक्नि एसा है नही, मानव को विकास के पथ पर सदैव सदबुद्धि, विवेक , शान्ति से चलना चाहिये आप सदैव अपना मन शान्त रखिये कभी भी उत्तेजित हो निर्णय न करीये, हर स्थित मे दिमाग को शान्त रख आगे बढे लेक्नि आप यह ऐसे नही कर पायेगें जब तक आप अराधय पूजन व योग नही करेंगे योग व अराधय पूजन करने से आप हर समय एक आनन्दमय स्थिति मे रहेंगे जो शातिं, विवेक व आंनद के मिलाव से बनेगी यह स्थिति को आप सदैव मन मे महसूस कर पायेंगे व कोई भी मुसीबत आपके सामने आयेगी तो आपको उसका हल करने मे आनन्द महसूस होगा आप जब कर्म करेंगे तो आपको खुशी महसूस होगी तत्पश्चात आप जिस क्षेत्र  मे होगें उस कार्य क्षेत्र  मे प्रथम हो जोयेंगे हमारे सनातन धर्म मे महान योगी आदि इस स्थिती मे महारथी हो गये थे व हमारे प्राचीन यौद्धाओ ने भी इसमे महारथ हासिल कर ली थी तभी तो वह इतिहास मे अमर हे गये आप एक माह स्वयं यह कर के देखीये योग व अराधना के सहयोग से बड़ी जंग जीती जा सकती है
                       
तो दोस्तो आज का लेख समपन्न होता है
                                       
 
धन्यवाद