इस धरती मे दो शक्तियां निवास करती है अंधेरा व उजाला, उजाला जहां ईश्वर का प्रतीक है वही अंधेरा शैतान का प्रतीक है यह दोनो वो शक्तियां है जिन्होने  धरती मे संतुलन बनाया हुआ है यह संतुलन विचार मात्र नही बल्कि् वास्तिविक्ता है यदी अंधेरा नही होता तो हमें उजाले का महत्व कैसे समझ में आयेगा इसी प्रकार यदी शैतान का अस्तित्व नही हुआ तो हम ईश्वर की महानता को कैसे समझ पायेंगे ?

                          इसी को कहते है सन्तुलन, सन्तुलन वह स्थिती है जो हमारी जिन्दगीयो को चलाने हेतु अनिवार्य है परन्तु हर कोई इसके महत्व को समझ नही पाता है इसीलिए हम आपके सामने एक रचना प्रस्तुत करेंगे जिससे आपको इस सन्तुलन को समझ पाने मे सहायता मिलेगी


 

 

GOD

THE BALANCE OF THE WORLD


 


 

 

एक बार ईश्वर की शक्ति का अंश इस धरती पर आया, उसने विचार किया की चलो देखे मेरे ईश्वर ने जो दूनियां बनायी है वो कैसी है वह ईश्वर से अलग हो धरती पर आया, वह एक सुन्दर से माहौल में आया, सभी ओर पेड़ थे जहाँ पक्षी चहक रहे थे व नदियां बह रही थी तथा चारो ओर प्राकृतिक माहौल था वह ईश्वर का अंश मानव देह मे अपने आप को परिवर्तित कर लेता है वह सुन्दर युवक मे बदल जाता है व जब पाव को जमीन पर रखता है जो धरा मानो प्रसन्न हो जाती है चारो ओर खुशी का माहौल बन जाता है हर कोई अपनी भाषा मे ईश्वर के गुण गाने लगता है

                             लेक्नि तभी वहां कुछ अजीब होता है वह दूत देखता है कि् दूर से गहरा अंधेरा उसी की ओर बढ रहा होता है वह इतना काला था कि् मानो उसकी छाया जहां भी पड़ रही हो वहां नाउम्मीदी आ जा रही हो, उसकी छाया जब पेड़ो पर पड़ती है तो उनके सारे पत्ते झड़ जाते है जब वह छाया जीवो पर पड़ती है तो वह बेहोश हो जाते है जब वह नदियो पर पड़ती है तो उनका जल सुख जाता है जिस धास पर छाया  पड़ती है वह धास सुख जाती है वह काला साया आ उस दूत के सामने खड़ा हो जाता है देखते - देखते वह काला साया एक मानव देह मे बदल जाता है, वह एक  लड़के मे बदल जाता है उसने काले वस्त्र पहने थे उसकी त्वचा प्योर वाईट थी वह अत्यन्त सुन्दर था वह इतना आकर्षक लग रहा था कि् उसे देख कर ही उसकी कही बात मानने का मन करे परन्तु उसमे एक चीज की कमी थी वो  चीज थी ईश्वर की दिव्यता की, उसको देख कर ही लग रहा था कि् जैसे उसमे ईश्वर का एक अंश भी नही है वह दूत को देख हसता है व उससे बात करता है -


शैतान का दूत - स्वागत है मेरे इस जहान मे, ईश्वर दूत

ईश्वर का दूत - कैसे हो शैतान के दूत ?

शैतान का दूत - मै तो अमर हुं तो सुखी भी हुं

ईश्वर का दूत - व्यर्थ के भ्रम मे मत डालो दूत

शैतान का दूत - लगता है तुम मुझे जानते नही हो
 

ईश्वर का दूत - तुम हो शैतान की संतान तुम धरती लोक के जीवो को शैतान की राह पर लाते हो तुम उनको लालच दे ईश्वर की राह से भटका कर गलत मार्ग पर ले जाते हो तुम रुप बदलते हो कभी दोस्त बनकर, तो कभी दुश्मन बनकर, तुम इस लोक मे रहने वाले जीवो को शैतान की राह पर ले जाते हो और उनको राक्षस बना देते हो,  यह था तुम्हारा परिचय

 

शैतान का दूत - हां यह बिलकुल सही है हम दोनो ही किसी न किसी की संतान है तुम ईश्वर की और मै शैतान की, तुम्हारे लिए एक प्रस्ताव है तुम मेरे साथ चलो व मै तुम्हे वो हर चीज दूंगा जो तुम्हे चाहिये

 

ईश्वर का दूत - यह प्रस्ताव मुझे स्वीकार नही

 

शैतान का दूत - क्यो ऐसा ईश्वर तुम्हे क्या दे देता है ? जो तुम उसका साथ नही छाड़ना चाहते हो, तुम यदी इस धरती लोक पर जन्म लोगे तो तुम एकदिन मर जाओगे और अपने जन्म लेने व मौत होने के बीच मे तुम कई दुख सहन करोगे कभी कोई रोग तुम्हे हो जायेगा तो कभी कोई तुम्हे परेशान करेगा, कभी तुम धायल हो जाओगे तो कभी तुम पर कोई संकट आ जायेगा, यह है तुम्हारे ईश्वर का दिया जीवन और मैरे शैतान के साथ चलोगे तो वो तुम्हे अमर बना देगा तुम्हारे धाव स्वतः ही ठीक हो जायेंगे तुम मे अपार बल होगा, तुम काई भी कार्य कर सकोगे, यदी तुम्हे कोई चीज अच्छी लगी तो वो तुम्हारे चरणो मे होगी फिर चाहे वे चीज सुख मे हो  या किसी ओर अवस्था मे, तुम इस दूनियां के राजा हो जाओगे, अब बाताओ मुझसे जलन होने लगी न ?

 

ईश्वर का दूत - जलन नही, मुझे तरस आ रहा है तुम पर
 

शैतान का दूत - व्यर्थ की बात मत करो
 

ईश्वर का दूत - सत्यता कभी-कभी गुस्सा दिला देती है
 

शैतान का दूत - वो कैसे ?

 

ईश्वर का दूत - तुम्हारा शैतान तुम्हे भ्रम में फसाता है जिस अमरता को वो तुम्हे भेट करता है वास्तव मे वह नश्वर होती है तुम कभी न कभी मौत को प्राप्त हो जाते हो वो तुम्हे भटकाता है वो तुम्हारे ईच्छा की चीज तुम्हे दे कुछ पल की ही खुशी देता है जो कुछ  समय बाद मिट जाती है तुम कभी पूर्ण रुप से संतुष्ट नही होते और न कभी हो सकते हो क्यो कि् जिस पूर्ण संतुष्टी को ढुंढ रहे हो वह उस शैतान के पास नही वह मेरे ईश्वर के पास है


 

शैतान का दूत - कैसे ?

 

ईश्वर का दूत - मेरे ईश्वर के आधीन कई लोक है प्रत्येक लोक मे कई ब्रहमाण्ड है प्रत्येक ब्राहमाण्ड मे कई ग्रह है जिनमे से यह भी एक   ग्रह है मेरा ईश्वर इतना बलशाली है कि् वह सभी ग्रह पर व्यवस्थाओ का संचालन करता है जहां राजा से भिखारी तक का लेखा-जोखा उसके पास होता है सभी जीव उसी के आधीन है सभी जीव अपने कर्मो के अनुसार सुख-दुख का उपभोग करते है यदी कोई आज खुश है तो वह उसके अच्छे कर्मो का फल है यदी कोई दूखी है तो वह उसके किये पापो का बोझ का प्रतिफल है इसी को कहते है बंधन,  हर जन्म हमें हमारे पूर्व जन्म मे किये कर्मो के अनुसार मिलता है यदी कोई बुरे कर्म करे तो उसे राक्षस का जीवन मिलता है यदी कोई अच्छे कर्म करे तो उसे मानव का जीवन मिलता है यदी काई बहुत अच्छे कर्म करे परन्तु वह काम, क्रोध व लालच आदि की भावना से पूर्ण रुप से मुक्त नही हो पाया तो उसे देवता के रुप मे जन्म मिलता है परन्तु जब कोई जीव बहुत अच्छे कर्म करता है व वो जीव काम, क्रोध, लोभ आदि से आजाद हो उस परम ईश्वर को अपने आप को समर्पित कर देता है तो वह ईश्वर के साथ जा मिल जाता है व अपने धर लौट जाता है प्रत्येक जीव मे आत्मा निवास करती है व प्रत्येक आत्मा ईश्वर का अंश होती है ईश्वर हमें यह जन्म परिक्षा देने हेतु दिलवाता है हमें यहां काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, को हाराना होता है व इन सबसे अलग हो ईश्वर के मार्ग पर चलना होता है जब हम ईश्वर की राह पर चलते है तो हम स्वयं के वास्तविक अस्तित्व को पहचान पाते है कि् हम क्या है, जीव पहचान पाता है कि् हम ईश्वर के अंश है  व तब हम ईश्वर से जा भेट करते है

      तब जाकर हम अपने धर जा पाते है जहां से हम आये है हम ईश्वर से जा कर मिलते है व हमारी परिक्षा पूर्ण हो जाती है हम परिक्षा मे उत्तीर्ण हो जाते है व ईश्वर की नजर मे हम योगय हो जाते है तब हमे परम आनन्द की स्थिती प्राप्त होती है वह स्थिती ऐसी होती है जिसमे न कोई दूख होता है न कोई लालच, न कुछ खो जाने का भय, न कुछ पाने का लोभ तब हम परम ईश्वर के अंश का रुप ले लेते है, यह थी सत्यता न की जो तुम बता रहे हो


शैतान का दूत - माना की यह वास्तविक्ता है लेक्नि चारो ओर देखो मेरे  मालिक का राज है आज मानव पापी हो गया है वो सम्मान, रोजगार, अपनी ईच्छाओ की पूर्ति हेतु व अन्य चीजो के लिए मेरे पास आने लगा है हर जगह मेरे शैतान का बोल बाला है व तुम्हारा ईश्वर केवल बातो मे ही रह गया है



ईश्वर का दूत हसता है

 

शैतान का दूत - तुम हस हरे हो
 

ईश्वर का दूत - हां मै हॅस रहा हुं क्यो कि् तुम भ्रमित हो
 

शैतान का दूत - कैसे ?
 

ईश्वर का दूत - वो ऐसे कि् तुम नही जानते वास्तव मे है क्या ? वास्तव मे हर जगह मेरा ईश्वर है देखो वो सूर्य को वो मेरे ईश्वर की शक्ति से चमक रहा है देखो वो नदी को वो मेरे ईश्वर के बहाव से ही बह रही है देखो उस आकाश को वो मेरे ईश्वर की दया से ही उड़ रहा है



शैतान का दूत देखता है वह सूर्य को देखता है तो वह उसकी चमक सह नही पाता वह नदी को देखता है तो उसे विकट बहाव का अनुभव होता है वह अपने चारो ओर देखता है तो उसे हर चीज मे ईश्वर की मौजूदगी का अनुभव होता है वह स्वंय को ईश्वर से धिरा हुआ पाता है वह अपनी को बन्द कमरे मे होने जैसा महसूस करता है


तभी ईश्वर का दूत उससे कुछ कहता है -

 

ईश्वर का दूत - ईधर-उधर क्या देख रहा है  अपने अन्दर देख तुझे वहां भी ईश्वर दिखायी देगा


ईश्वर का दूत अपने अन्दर देखता है उसे दिखता है कि् उसके अन्दर काली बुराईयां ही बसी है वह और अन्दर देखता है तो उसे दिखता है कि् वह अत्यन्त सूक्ष्म काले कणो से बना है वह और अन्दर देखता है तो उसे दिखता है कि् वह कण जिस प्रकाश से बने है वह ईश्वर का प्रकाश है उसे पता चल जाता है कि् इस दूनियां मे ऐसा कुछ भी नही जो ईश्वर के अंश से नही बना है  उसे भान हो  जाता है कि् यह सम्पूर्ण संसार उस ईश्वर से बना है


 

शैतान का दूत - तुम सही कह रहे हो

 

ईश्वर का दूत - मै जानता हुं तुम अभी भी ईश्वर की राह मे नही आओगे

 

शैतान का दूत - मै जानता हुं यह सत्य है लेक्नि मै फिर भी शैतान की शरण मे रहुंगा क्योकि् वो मेरे जन्मदाता है व मै उनको अकेले नही छोड़ सकता, दूत एक बात बातओ जब सब ईश्वर का ही है तो हम आपस मे लड़ाई क्यो करते है ?


 

ईश्वर का दूत - क्योकि् यह सन्तुलन का एक भाग है

 

शैतान का दूत - कैसे ?

 

ईश्वर का दूत  - इस संसार मे सब ईश्वर का है ईश्वर ने हमें यहां परिक्षा लेने भेजा है व परिक्षा मे अंधेरा एक अहम भूमिका निभाता है यह मानव को बुराई से परिचित कराता है


शैतान का दूत - इससे क्या लाभ होगा ?

 

ईश्वर का दूत - जब जीव बुराई से परिचित होगा व बुराई को समझ पायेगा तो वो उससे अवगुणो को जान पायेगा, वे जान पायेगा कि् बुराई कितनी गलत होती है  वह समझ जायेगा कि् बुराई केवल हमें ही नही बर्बाद करती यह हमारे साथ - साथ हमारे अपनो को भी बर्बाद कर देती है व यह केवल यही तक नही रुकती यदी इसे उकसाया गया तो यह हमारे साथ- साथ पूरे समाज को नील जाती है व हजारो परिवार असमय ही काल के ग्रास मे समा जाते है



शैतान का दूत - तो इस कार्य मे मेरा क्या येगदान है व मै किसके पक्ष मे हुं व मै क्या  करु ?

 

ईश्वर का दूत - तुम शैतान से जन्मे हो अर्थात तुम्हारा पिता शैतान है उसने तुम्हे कार्य सौपा है कि् वो संसार के जीवो को ईश्वर के मार्ग से भटका कर शैतान की शरण मे लाये, यह कार्य शैतान उस परम ईश्वर से जंग करने हेतु कर रहा है परन्तु यह सब उस ईश्वर की परिक्षा का हिस्सा है जिसमे वह अपने अंशो की परिक्षा लेना चाहता है उसमे शैतान वो  है जो मानव को बुराईयो से परिचित कराता है व मानवो को उन बुराईयो से जंग कर ईश्वर की राह को चुनना होता है

         तो वास्तव मे यह सब उस ईश्वर की ली गयी परिक्षा का हिस्सा है अब तुम्हारे पास दो मार्ग है एक तुम ईश्वर की शरण मे आ जाओ व दूसरा तुम उस शैतान की शरण मे चले जाओ व फिर जा जीवो को उनके मार्ग से भटकाओ  व ईश्वर की इस परिक्षा मे अपना योगदान दो




शैतान का दूत - मै शैतान का साथ नही त्याग सकता  मै उसी की शरण मे रहुंगा

ईश्वर का दूत - तुम्हारा चुनाव ही तुम्हारा मार्ग तय करेगा

शैतान का दूत - कोई परवाह नही है

ईश्वर का दूत - यही उम्मीद थी

शैतान का दूत -  मित्र एक बात पूछू, मै तुम्हे मित्र तो बुला सकता हुं न ?, आखिर हम दोनो अपने पिता का कहना मान रहे है


ईश्वर का दूत - ईश्वर तो सभी के  दोस्त है चाहे वह भटका हुआ हो  या भटकाने वाला उसे तुमसे कोई ईर्श्या या द्वैष नही है वो तो सिर्फ सही राह पर लाने हेतु तुम्हे दुख या सुख देता है, यदी मेरा ईश्वर सबका दोस्त है तो मै कैसे दुश्मन हो सकता हुं


शैतान का दूत - मुझे खुशी है कम से कम मे दोस्त तो हुं, यह संसार देखो मित्र कितना सुन्दर है न, मैने कभी रुक कर इसे देखा ही नही


ईश्वर का दूत - हां वो तो है
 

शैतान का दूत - मित्र एक बात जानते हो ?



ईश्वर का दूत - क्या ?
 

शैतान का दूत - हम दोनो मे सदैव लड़ाई चलती रहेगी फिर वह चाहे राह से भटकाने हेतु हो या कोई अन्य कारण से, लेक्नि इन सबमे एक बात है हम यदी रुक कर बीच - बीच मे इस ईश्वर की दूनियां का आनन्द ले तो कितना अच्छा होगा न


वह दोनो ईश्वर की बानाई दूनियां देखने लगे जहां जीव थे खुशी थी दूख था, लालच थी, अच्छाई थी , अमीरी थी, गरीबी थी कोई धन कमाने की राह पर था तो कोई धन कमा नोटो मे खेल रहा था कोई सुखी था तो कोई दूखी था कोई भर पेट खा कर भी दूखी था तो कोई सूख की आधी रोटी खा कर भी सूखी था कोई समाज मे अपना नाम कमाने हेतु मेहनत कर रहा था तो काई उस परम माता दुर्गा की भक्ति से तप कर अमरता का वरदान पा लेने के बाद सन्तुष्ट हो उनके मन्दिर मे जाड़ु लगा रहा था


 


शैतान का दूत - अदभुद है उस ईश्वर की दूनियां, अदभुद है यह मार्ग
 

ईश्वर का दूत - वास्तव मे ईश्वर तो हर जगह है जो भी जीव जहां भी है यदी वह वही से ईश्वर का घ्यान लगाये तो ईश्वर को वह अपने पास पायेगा


 

शैतान का दूत - मानव भी कितना रोचक है न ? वह अपनी ईच्छाओ की पूर्ति हेतु जीवन भर मेहनत करता है परन्तु वह ईश्वर की इस दूनियां को  समझ ही नही पाता है वह देख नही पाता है कि् ईश्वर की दूनियां मे कुछ पाने की नही बल्कि कभी जीने की भावना से जीवन जी कर देखो, मै कईयो से मिलता हुं कुछ मेरे पास आते है कुछ के पास मे जाता हुं सब अपनी ईच्छाओ की पूर्ति हेतु मेरे से कहते है कोई यह जानने का प्रयास ही नही करता कि् वास्तव में यह सब है क्या ? वह कभी नही पूछते यदी पूछे तो मै बाताउ कि् यह सब उस ईश्वर की दूनियां है व आप परिक्षा देने आये है व आप वास्तव में ईश्वर का अंश है व आप मे  अपार बल है आप कुछ भी कर सकते है यदी आप योग करे तो यह शैतानी मार्ग अपनाने के बाजाये आप ईश्वर के मार्ग पर रहते हुए न केवल दूनियां को कुछ दे पायेंगे बल्कि् अपना नाम सदैव के लिए अमर कर ले जायेंगे


ईश्वर का दूत - हां मित्र यह तो है

शैतान का दूत -
वैसे यहां किस लिए आये थे ?

ईश्वर का दूत - मै तो यहां अपने ईश्वर की दूनियां देखने आया था

शैतान का दूत
- मित्र मैने तो आ तुम्हारे रंग मे भंग डाल दिया

ईश्वर का दूत - नही,मित्र ऐसा नही है हमारे बीच मे जो बात हुई है यदी उसे कोई जीव सुन ले तो वह कभी शैतान की राह मे नही जायेगा


शैतान का दूत - यहां सब जीव है नदियां है पक्षी है पेड़ है कई है लेक्नि एक बहुत दूख की बात है कि् यहां कोई इंसान नही है काश यहां कोई इंसान नही है


ईश्वर का दूत - हो सकता हो कभी किसी दिन कोई देवी आदिशक्ति दुर्गा के भक्त के मन मे विचार आ जाये व देवी के आशीष से वह हमारी यह सब बात को लेखनी के रुप मे लिखकर दूसरो के सामने प्रस्तुत कर दे व सम्पूर्ण धरती के मानव इसे पढ पाये, देख पाये, समझ पाये व इससे सीख ले आगे यह घ्यान रखे कि् कोई भी कार्य करे तो यह अवश्य देख ले कि् क्या उनके द्वारा लक्ष्य प्राप्ती हेतु जो मार्ग चुना जा रहा है वह ईश्वर का है भी की नही, तब शायद वह सही निर्णय ले अपना जीवन सुधार सके व अपने साथ-साथ अपनो व संसार का भला कर सके


शैतान का दूत - काश हम एक साथ होते

ईश्वर का दूत - एक दिन जब प्रलय आयेगी तो ईश्वर स्वंय धरती पर आयेंगे तब जंग होगी व जंग के बाद सब ईश्वर की शरण मे चले जायेंगे तब शायद तुम भी ईश्वर की शरण मे आ जाओ


शैतान का दूत, ईश्वर के दूत की ओर देखता है
 

शैतान का दूत - आज पहली बार मन को शान्ति मिली है


ईश्वर का दूत - वो इस लिए क्योकि् पहली बार तुम ईश्वर की महानता को समझ पाये हो


शैतान का दूत - सच मे आन्तिरिक शान्ति सच्चा सुख है

 

ईश्वर का दूत - अब मै चलता हुं

 

शैतान का दूत - ठीक है मित्र

ईश्वर का दूत - ईश्वर को जा तुम्हारे बारे मे बाताउंगा

 

शैतान का दूत - यह मेरा सौभाग्य है दोस्त

 

शैतान का दूत - मे भी चलता हुं

शैतान का दूत सर झूका दूखी मन से मुड़कर बनजर पड़ी भूमि को देखता है व वहां से चला जाता है उसके जाते ही फिर से सबकुछ जीवन से भर जाता है व चारो तरफ आनन्द ही आनन्द हो जाता है ईश्वर का दूत  वहां सभी से मिलता है खेलता है, बाते करता है सब खुश थे वह सभी के साथ अच्छा व्यवहार कर ज्ञान देता है तत्पश्चात ईश्वर का दूत अपनी बाहे फैलाता है व प्रकाश मे बदल जाता है व फिर से ईश्वर मे जा मिल जाता है


यह लेख प्रस्तुत करने का उददेश्य था कि् हम इस जीवन को समझ पाये, जी पाये व आनन्द को पा सके व अपनी आत्मा को समझ ईश्वर को समझ पाये व ईश्वर के मार्ग पर चल, इस धरती को बेहतर से बेहतर बना पाये व ईश्वर मे जा लीन हो जाये व अपने जीवन को सम्पूर्ण कर सके हम जन्म व मौत के बन्धन से निकल उस ईश्वर की महिमा को समझ पाये

धन्यवाद