SHRI DURGA DEVI


 LEKH

 

 









 

 

 

 

BY -  AKASH SINGH RAJPOOT



 

 

 


 

आप सभी का श्री दुर्गा देवी व्लॉग पर सवागत है आज हम एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जो कि् वर्तमान समय मे हर किसी के मन मे आता है कि् विवाह किससे करा जाये ?


        
यह प्रश्न एक सामान्य सा प्रश्न लगता है व यदी आप किसी से यह प्रश्न पूछेंगे तो आपको कुछ ही उत्तर प्राप्त होंगे वह उत्तर है -

 

 

-  अपने प्यार से शादी करो

-  आप जिससे चाहे उससे करो जिन्दगी आपको बितानी है
 

-   माता - पिता की ईच्छा अनुसार विवाह करो

आदि ।


 

यह वह उत्तर है जो सामान्य तौर पर आपको मिलेंगे लेक्नि क्या इस प्रश्न का उत्तर इतना सा ही है या फिर यह सामानय सा दिखने वाला प्रश्न एक विस्तृत ज्ञान को अपने अन्दर छुपाये हुए है ?
                            
           
          तो हम आपको बता दे कि् यह कोई सामान्य प्रश्न नही, यह एक अतिमहत्वपूर्ण प्रश्न है


हम सभी मानव ने इस धरती पर जन्म लिया है व ईश्वर ने हमें जोड़ियो मे बानया है परन्तु हम सामान्य तौर पर यह नही बता सकते कि् कौन हमारे लिए उचित है इससे पहले कि् हम आपको बाताये कि् आपके लिए कौन जीवन साथी उचित है उससे पहले हम आपको कुछ बाताना चाहते है, क्या आप सभी को पता है कि् विवाह के बाद मानव जीवन की एक नयी शुरुआत होती है, यदी नही पता तो हम आपको इसका पूर्ण ज्ञान देंगे

 
       
    
हमारे सनातन धर्म मे मानव के जन्म के समय, स्थान, दिशा आदि के अनुसार मानव की कुण्डली बानायी जाती है जिसमे मानव के जन्म से मृत्यु के बीच के सफर का वर्णन होता है अर्थात कुण्डली एक पत्रिका होती है जो जीवन मे बितने वाले सुख - दुख आदि का परिचय कराती है इसको पढ कर मानव जान सकता है कि्  उसकी कितनी आयु है?,  उसके जीवन मे कितने दुख हैउसे जीवन मे क्या करना चाहिये,

 


 

                  अब आप सब कहेंगे कि् यदी ऐसा परिचय  कुण्डली मे होता भी है तो हमें इससे क्या लाभ ?, तो उसका उत्तर भी हमारे पास है इस कुण्डली मे केवल जीवन मे बित्तने वाली धटनाओ के बारे मे ही नही लिखा होता है बल्कि जीवन मे आने वाले दुखो से बचने के उपाय भी लिखे होते है यदी  मानव उन उपायो को करता है तो मानव अपने जीवन से दुखो को दूर कर सकता है यहां तक की यदी मानव की अल्प आयु है तो वह उपाय कर के दीर्ध आयु भी प्राप्त कर सकता है

 
           अब हम आज के ज्ञान के विषय पर आते है यदी मानव को जानना है कि् कौन सा जीवन साथी उसके लिए उचित रहेगा तो इसका एक उपाय है कि् मानव जिस किसी से भी विवाह करना चाहता है उसकी कुण्डली मांगे व किसी पणि्उत से उसे अपनी कुण्डली के साथ मिलाये व यदी दोनो कुण्डलिया उचित प्रकार से मिल रही है तो विवाह कर ले, परन्तु यदी कोई मानव सनातन धर्म का नही है व वह मानव यह उपाय करना चाहता है तो उसे किसी सनातन धर्म के पण्डित से बात कर लेनी चाहिये व अपने पसंद की लड़की या लड़के के जन्म का समय, दिशा स्थान आदि का विवरन उसे दे दे व कुण्डली बनवा ले, मित्रो इस किण्डली बनवाने मे ज्यादा खर्चा नही आता है यदी आप ऐसा करेंगे तो आप एक उचित जीवन साथी खोज लेंगे, हमारे भारत मे यह तरीका एक  हर व्यक्ति अपनाता है परन्तु अकसर देखने मे आता है कि् ज्ञान की कमी के कारण हर देश के मानव के पास यह तरीका उपलब्ध नही है आप यह मत विचार करीये कि् आप किसी अन्य धर्म के है तो यह मार्ग क्यो अपनाये ?, हम आपको बता दे कि् सनातन धर्म के इस मार्ग की सहायता लेने के लिए आपको अपना धर्म परिवर्तण करने की कोई आवश्यक्ता नही है आप अपने धर्म मे रहकर भी यह तरीका अपना सकते है, कुण्डली बनवाने से आपको अत्यन्त लाभ होगा यदी आपकी अल्प आयु है तो आप दीर्ध आयु पा सकते है यदी जीवन मे निर्धनता लिखी है तो उसे धनवान होने मे बदल सकते है अब आप हमसे प्रश्न करेंगे कैसे ? 


            



           मानव जन्म के साथ ही उसकी आयु को निश्चित सीमा तक कर दिया जाता है यह सब हमारे पिछले जन्म के अनुसार निश्चित होता है अब यदी किसी मानव की अल्पायु लिखी है व वह किसी ऐसी कन्या से विवाह कर लेता है जिसकी कुण्डली मे उसके पति की दीर्ध आयु लिखी है तो व्यक्ति की आयु दीर्ध आयु हो जायेगी अर्थात निश्चित समय तक वह अपनी आयु का उपभोग करेगा तत्पश्चात वह अपनी पत्नी के भाग्य की आयु का उपभोग करेगा

तो हम इस कारण से कह रहे थे कि् विवाह कोई सामान्य बात नही है अब हम बाताते है कि् विवाह किससे किया जाये ?

 


 


     
          सर्वप्रथम हम बता दे कि् विवाह प्रेम को पाने एक साधन नही बल्कि विवाह हमारे साथ-साथ हमारे जीवन से जुड़े लोगो के जीवन को भी प्राभावित करता है उदाहरण के तौर पर हमे एक लड़की या  लड़का पसंद आया तत्पश्चात हमने उससे विवाह कर लिया परन्तु जैसे - जैस समय बिता हमें पता चला कि् वह वर जिसे हमने चुना वह तो अवगुनी है व उस वर के अवगुणो की वजह से कई बार हमारा जीवन बर्बाद हो जाता है तो ऐसे मे हमे ठण्डे दिमाग से बैठ कर विचार करना चाहिये व अपने चुने वर या माता - पिता के चुने वर का विश्लेषन करना चाहिये कि् क्या यह हमारे जीवन के लिए उचित है ?
                 यदी वह गुणवान निकला तो हमें उसकी कुण्डली का मिलान अपनी कुण्डली से करवाना चाहिये तत्पश्चात यदी कुण्डली के अनुसार वह हमारे जीवन के लिए उचित है तो हमें विवाह कर लेना चाहिये,



अब आप हमसे कहेंगे कि् यदी हम किसी से सच्चा प्यार करते है व उसी से विवाह करना चाहते है तो हम क्या करे तो हम यह ही  कहेंगे कि् आप तब भी अपनी व उनकी कुण्डलियो का मिलान कराये व यदी दोनो की कुण्डलिया मिलने मे कुछ कमी आ रही है तो सनातन धर्म के किसी पण्डित से बात करे व उपाय कराये, यदी उपाय हो सकता है तो उसे करे व अपने प्रेम के साथ एक नये जीवन का आरम्भ करें

इस दुर्गा लेख मे आपको जो ज्ञान दिया है वह आपके जीवन को एक नयी राह देने मे मदद करेगा यदी आप को ऐसा ही विशेष ज्ञान चाहिये तो हमारे व्लॉग के साथ जुड़े

                                      धनवाद