SHRI DURGA DEVI

 

THOUGHTS

 

 

  नया साल

 

 

 


 

 

 

 

 

 

BY - AKASH SINGH RAJPOOT

 

PEN NAME - SHRI DURGA DEVI

 

 

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नया साल

 




नया साल, यह एक ऐसा शब्द है जो सभी मे एक अलग भाव उत्पन्न करता है किसी मे खुशी का तो किसी मे दुख का,

              जो व्यक्ति उम्मीद से भरा होता है उसके लिए नया साल खुशीया लायेगा, इस उम्मीद मे मानव खुश हो जाता है परन्तु जो गम से सताया होता है जिसमे उम्मीद की कमी होती है उसके लिए नया साल कुछ खास खुशी नही लगता है हमारे समाज मे भी कितनी भिन्नताये है न ? कही पर किसी के पास कई दोस्त होते है तो कही किसी के पास कोई दोस्त नही होता है हमारे जीवन मे नये साल का एक अलग महत्व है परन्तु उसे हर कोई नही समझ पाता है आज हम उसी महत्व को समझाने का प्रयास करेंगे

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 नये साल का महत्व


 


मानव जीवन मे समय का एक विभाजन किया गया है अर्थात मानव का जो जीवन होता है उसे कई खण्डो मे विभाजित किया गया है जैसे बचपना , नौजवान, शादीशुदा, बुढापा

           यह सभी पल अनमोल होते है व इन सभी पलो को मानव जी पाये इसीलिए मानव ने समय का विभाजन करा अर्थात मानव ने एक निश्चित समय सीमा का विभाजन किया उसी विभाजन का एक अंग है नया साल, जिस प्रकार मानव का जीवन प्रारम्भ होता है उसी प्रकार एक नया साल एक नये जीवन की शुरुआत करता है मानव जीवन को हम एक उदाहरण द्वारा समझ सकते है -



हमारे पास एक किताब है जिसमे क्या-क्या लिख सकते है वह सब पूर्व निश्चित है परन्तु हमारे कर्म पर यह निर्भर करता है कि् हम उस किताब मे क्या लिखते है हमारा हर पन्ना अपने मे एक कहानी कहता है व जब भी हम नया पन्ना लिखना प्रारम्भ करते है हमे नवीनता का अनुभव होता है कुछ लोग हर पन्ने को अत्यन्त समझदारी से व आन्दपूर्वक लिखते है तथा हर लिखावट को महसूस करते है परन्तु कई लोग बिना पन्ने के मोल को समझे बस लिखते चले जाते है न उनका कोई लक्ष्य होता है न कोई उददेश्य वह न जाने किन भ्रमो मे रह जाते है कारण चाहे जो भी हो वह ऐसे ही पन्ने पलटते रहते है व एक दिन किताब समाप्त हो जाती है


इसी प्रकार प्रत्येक पन्ना हमारे जीवन का अनमोल साल है कुछ लोग इसे समझ पाते है कुछ नही, आप लोगो को कई लोग मिलेंगे जो कहेंगे कि् अपने जीवन को ऐसे जीयो कुछ कहेंगे वैसे जीयो परन्तु एक बात सोचिये आपके कितने ही जीवन के अनमोल साल बीत चुके है क्या आपने वो करा जो आप करना चाहते थे ? या किसी दूसरे के निर्देश पर ही चलते रहे

        हमारा जीवन मे जो हमें करना चाहिये अर्थात जो हम करना चाहते है वो हमें कर लेना चाहिये हम जो लक्ष्य प्राप्त करना चाहते है जो हमारी योजनाये है उसे हमे पूरा करने हेतु आज से ही प्रयास कर लेना चाहिये व जीवन के हर एक पल को खुल के जी लेना चाहिये आज मै आपको एक ऐसा मार्ग बताउंगा जिससे आप न केवल अपने जीवन को समझ पायेंगे बल्कि आप उचित कार्य भी कर पायेंगे, आप के धर मे कोई न कोई धर्म अवश्य पूजा जाता होगा चाहे आप हिन्दू हो, मुस्लिम हो या अन्य किसी धर्म के कोई फर्क नही पड़ता है , आप जिस किसी भी धर्म के हो आप सर्वप्रथम जल्दी उठना सीखीये व जल्दी उठने के लिए जल्दी सोने का प्रयास करे व साथ मे कुछ पोष्टिक आहार लिजिये फिर जब आप जल्दी उठ जाये तो आप भारतीय योग विज्ञान को अपनाये अर्थात आप योगा करे तत्पश्चात आप कुछ हल्का खा ले इसके बाद आप स्नान कर वस्त्र पहने जब आप यह सब कर ले तो आप अराधना करे, आप जिस भी धर्म के है उसी के अनुसार अराधना करे यदी आप मुस्लिम है तो नमाज पढे, यदी आप ईसाई है तो प्रार्थना करे व यदी आप सनातन धर्म के है तो आप अपने अराधय की अराधना करे 

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                         आप विचार कर रहे होंगे कि् आप एक सनातन धर्म के मानव का व्लॉग पढ रहे है व वह सब धर्म को तवज्जो दे रहा है तो हम आपको बता दे कि् धर्म सब एक होते है चाहे किसी भी धर्म हो वो उस परम ईश्वर को समर्पित होता है इसीलिए आप किसी भी धर्म की अराधना करे बस आप सदैव अच्छे कर्म करे
            अब जब आपने अराधना कर ली है तो अब आपको अपनी दैनिक क्रियाओ का आरम्भ कर देना चाहिये यदी आप ऐसा एक माह करे तो आपको स्वयं कर्म करने का ज्ञान, बल आदि मिलेगा व जो आप करना चाहते है उसे आप अपने दिल की गहराईयो से निकाल कर कर पायेंगे

     बस एक बात स्मरण रखिये आप जहां कही भी हो किसी देश के भी हो कोई फर्क नही पड़ता है बस फर्क यह है की आप किस मार्ग को चुनते है मै एक आदिशक्ति का भक्त हुं मै आज आपको एक सलाह दूंगा यदी आप अपने जीवन से हार चुके है व आपको चारो ओर अंधकार ही दिख रहा है तथा आपको हर स्थान पर नाकामयाबी मिल रही है तो मै आज आपके एक मार्ग बताउंगा


वो मार्ग ऐसा है जहां न आपको कोई धन व्यय करने की आवष्यक्ता है न कोई अन्य चीज करने की, वो मार्ग है देवी दुर्गा की भक्ति करना

                       हमारे ब्रहामाण्ड मे एक ऊर्जा है जो इस व न जाने इस जैसे कितने ब्राहमाण्डो को चला रही है, वह ऊर्जा को हमारे सनातन धर्म मे आदिशक्ति बाताया गया है उसी आदिशक्ति का एक रुप दुर्गा है यह देवी न जाने कितने वर्षो से हमारे भारत मे पूज्य है आप इनके समक्ष झुक जाये 



                सर्वप्रथम आ नेट से देवी दुर्गा की तस्वीर प्राप्त कर ले व साथ मे गणेश , शिव, काली माता, ज्वाला माताशीतला माता की भी तस्वीर प्राप्त कर ले, इसके बाद आप नेट या अन्य जगह से श्री दुर्गा कवच, दुर्गा चालिसा, दुर्गा आरतीशिव आरती ले आये व सथ मे  दुर्गा सप्तशी भी ले आये



LORD GANESHA



LORD SHIVA

 

 


 
GODDESS DEVI DURGA


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अब इसके बाद आप उस दिशा मे जहां से सूर्य उदित होता है, वहां आप किसी साफ स्थान पर छोटा सा मन्दिर बना ले आप चाहे तो यह मन्दिर कैसे बनता है नेट से सीख सकते है, इसके बाद आप रोज सुबह स्नान आदि कर, मन्दिर मे दीपक जलाये व देवी का कवच पाठ करे फिर चालिसा पढे फिर आरती गाये उसके बाद शिव चालिसा पढे, यह आपको सुबह शाम करना है इसके साथ यदी आप चाहे तो दुर्गा सप्तशी का पाठ भी कर सकते है दुर्गा सप्तशी सबसे बलशाली है यदी आप रोज यह पूजन आदि करे तो आपके धर मे सम्पन्नता आयेगी आपको बल मिलेगा व आपको अपने कर्म करने हेतु देवी स्वयं राह दिखायेगी व यह सब करने के लिए आपको अपने धर्म का त्याग करने की कोई आवश्यक्ता नही है एक बात स्मरण रखियेगा एक बार मन्दिर की स्थापना हो जाये व आपको सम्पन्नता मिल जाये तो पूजा मत त्याग देना क्यो कि् फिर माता का आशीश आपसे चला जायेगा व फिर से आप नकारात्म शक्ति मे फस जायेगें उम्मीद है कि् आपके इससे मदद मिलेगी


 धन्यवाद