SHRI DURGA DEVI
SHRI DURGA DEVI LEKH
IMMORTAL OF BUNDELKHAND
BY - AKASH SINGH RAJPOOT
IMMORTAL OF BUNDELKHAND
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आप सभी का हमारे व्लॉग पर स्वागत है आज हम आपको एक ऐसा ज्ञान देंगे जिसमे आपको एक ऐसे मानव का पता चलेगा जो 800 सालो से ज्यादा समय से मेहर के मन्दिर मे आकर माता शारदा की पूजा करता है
हमारे समाज मे हमें यही बाताया जाता है कि् मानव अमर नही है जो कि् एक हद तक सत्य है परन्तु यदी आप भारतीय समाज व धर्म का अघ्यन करे तो हमें मिलता है कि् कुछ ऐसे लोग है जिनको अमरता का वरदान है, उन लोगो ने अपने अराधय को प्रसन्न कर अमरता का वदान लिया है आज हम आपको एक ऐसे ही मानव के बारे मे बातायेगे जो अमर है
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मेहर का अमर मानव
आज भी भारत का एक ऐसा स्थान है जहां रोज सुबह कोई आ माता शारदा को एक फूल चढा जाता है यह स्थान है भारत के सतना जिले का मेहर नामक स्थान, यहां एक मन्दिर है वहां रोज आ पूजा करता है और ऐसा पिछले 800 सालो से भी ज्यादा से हो रहा है
मन्दिर के रखवालो का कहना है कि् उनको दिखता तो कोई नही है लेक्नि रोज सुबह जब वह मन्दिर के दरवाजे खोलते है तो उन्हे माता की मूर्ति पर चढा पानी मिलता है व ऐसा लगता है कि् किसी ने आ पूजा करी है तो चलिये आपको इसकी पूर्ण जानकारी देते है
पौराणिक कथा
हमारे सनातन समाज मे शिव जी, ब्रहमा जी व विष्णू जी त्रिदेव है, पुरातन समय मे आकिदशक्ति ने राजा दक्ष के धर जन्म लिया था दक्ष एक ऐसा राजा था जो महादेव को देवता नही बल्कि भूत पिशाचो के साथ रहने वाला मानता था समय के साथ राजा दक्ष की कन्या बड़ी हुई उनका नाम सती था सती जी ने जब महादेव को देखा तो उन्हे उनसे प्रेम हो गया तत्पश्चात उनका विवाह महादेव के साथ हो गया उनके विवाह के बाद भी राजा दक्ष महादेव को पसंद नही करते थे
एकदिन राजा दक्ष ने एक यज्ञ रचाया जिसमे सभी देवी व देवताओ को बुलाया परन्तु महादेव व माता सती को नही बुलाया कारण था कि् राजा दक्ष महादेव व माता सती को अपमानीत करना चाहते थे, सभी देवी-देवता जब यज्ञ मे जाने लगे तो माता सती ने महादेव से जाने की जिद करी परन्तु महादेव ने उन्हे समझाया कि् जो दुनियां मे किसी के धर बिन बुलाये जाते है वो इस जग मे पचताते है परन्तु माता सती नही मानी व अपने पिता के यहां चली गयी जैसे ही द्वार पर वह गयी राजा दक्ष ने उन्हे अपमानीत किया कि् तुम्हे निमन्त्रण नही मिला है माता सती को यह बात बुरी लग गयी अब वह अपने पति महादेव के पास किस मुहं से जाती, तब उन्होने योग अग्नि से अपनी देह को जला लिया तत्पश्चात महादेव ने अपनी जटा से अपने अवतार को जन्म दिया व राजा दक्ष के वध का आदेश दिया महादेव का अवतार वीरभद्र था
वीरभद्र ने जा हाहाकार मचा दिया तब दक्ष ने विष्णु जी से कहां की आप हमारी रक्षा किजिये फिर विष्णु जी ने जाकर वीरभद्र को बांध दिया तब महादेव ने काली माता से यह कहां फिर माता काली जो की सती माता की ही शक्ति थी उन्होने जाकर वीरभद्र को खोल दिया तत्पश्चात वीरभद्र ने जाकर दक्ष का सर काट दिया
फिर महादेव दुख मे वहां आये व माता सती को देखने लगे तब ब्रहमा ने उनसे प्रार्थना करी, उन्होने प्राथना मे मागं करी कि् राजा दक्ष को जीवित कर दे तो महादेव ने राजा दक्ष को बकरे का सिर लगा जीवित कर दिया तत्पश्चात सती का शव उठा विचरण करने लगे उनके ऐसा करने से सन्तुलन बिगड़ रहा था तो विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से माता सती के अंग काट दिये वह अंग जहां पर गिरे वह शक्ति पीठ बन गया
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उन्ही मे से एक शक्ति पीठ है शारदा शक्ति पीठ यहां माता सती का हार गिरा था
तो दोस्तो यह था माता के उस मन्दिर की कहानी अब हम आपको उस अमर मानव की कहानी बाताते है कि् किस तरह से वह अमर हुआ
IMMORTAL AALHA
पुराने समय मे बुन्देलखण्ड मे दो भाईयो का जनम हुआ उनके नाम थे आल्हा व उदल,
आल्हा व उदल बचवन से ही माता शारदा के भक्त थे वह माता की रोज पूजा करने जाते थे वह युद्व कोशल के ज्ञानी थे उनके कोशल से खुश हो राजा परमाल ने उन्हे नौकरी दे दी
आल्हा को राजा ने सेनापति बना दिया, सेनापति बनने के बाद आल्हा ने अपने देश की रक्षा के लिए कार्य करे उन्होने कुल 52 लड़ाईया करी,
एकदिन आल्हा माता के दर्शन करने के लिए गये साथ मे अन्य राजा भी थे मार्ग मे गहरा जंगल पड़ा जिसमे भयानक शेर थे तब सारे राजा पीछे हट गये उस समय आल्हा, उदल व उनका भाई मलखा आदि ने वीरता से शेरो से युद्व किया उन्होने माता के मन्दिर मे जाने के लिए कटाई कर मार्ग बनाया लेक्नि जब दर्शन करने की बारी आयी तो सभी राजा कहने लगे कि् हम बड़े राजा है व माता की पूजा पहले करेंगे तब आल्हा आदि गुस्से मे आ गये कि् मार्ग हमने बनाया है उनके मघ्य लड़ाई हो गयी तभी शारदा माता प्रकट हुई व मन्दिर के अन्दर से बोलीं कि् जो भी मेरे दर्शन पहले करेगा उसे अपने पहले लड़के की बलि चढानी होगी यह सुनकार सभी पीछे हट गये तभी आल्हा सामने आया उसके पुत्र ने कहां की मेरी बलि चढा दो
आल्हा मन्दि मे पुत्र को लेकर गया व उसका सर काट दिया उसका सर जमीन पर गिरने से पहले ही माता प्रकट हो गयी व सर पड़ लिया तथा धड़ पर लगा कर पुत्र को अमर कर दिया तत्पश्चात आल्हा को भी अमर कर दिया अब आलहा व उनके पुत्र ईन्दल अमर हो गये थे उसके बाद अन्य भाईयो को माता अमर करने लगीं लेक्नि किसी ने अपना सर मोड़ लिया तो किसी ने अपने पैर हटा लिये तब माता ने कहां कि् तुम्हारे पदम बन गया है अर्थात यहां पर यदी धाव लगा तो मर जाओगे, लेक्नि माता ने कहां कि् यह राज किसी को बाताना मत तुम अमर रहोगे
परन्तु धर जा यह राज उन्होने आपनी मां को बता दिया, बहुत समय बाद बावन गढ की लड़ाई हो गयी अर्थात सभी राजा आपस मे लड़ाई करने लगे उस समय पृथ्वीराज चौहान ने आल्हा के देश पर हमला कर दिया आल्हा सेनापति था तो वह युद्व मे भाईयो के साथ आ गया उन्होने आते ही हाहाकार मचा दिया सभी भाई मे युद्व करने लगे उन्होने पृथ्वीराज चौहान की सेना मे विधवंस कर दिया उनके किसी भी अंग पर जब पृथ्वीराज चौहान के सैनिक मार रहे थे तो वह मरने के बाजाये युद्व कर रहे थे तब पृथ्वीराज चौहान को पता चला की आल्हा अमर है तो पृथ्वीराज ने आल्हा के मामा माहिल से कहां कि् इनकी कमजोरी का पता लगाओ
माहिल जाकर अपनी बहन अर्थात आल्हा की मां से कहने लगा क्ष्तिम्हारे बेटे तो महान है वो युद्व मे अपराजयी हैं क्रू उनकी कोई कमजोरी है व बातो के जाल मे फसा लियातब माता ने उन्हे सारी कमजारीया बता दी माहिल ने जा पृथ्वीराज को सारी बात बता दी तब जिस अंग पर जिसका पदम था उस अंग पर मार उसने आल्हा के भाईयो को मार दिया उदल ने अकेले ही उसकी काफी सेना को मार दिया जब पृथ्वीराज की बारी आई तो उसने प्राण दान मागं लिया, उदल ने उसे छोड़ दिया लेक्नि जैसे ही उदल धुमा पृथ्वीराज के सेनापति ने पीठ पीदे प्रहार कर उसको जाने से मार दिया जब आल्हा को यह बात पता चली तो वह नंगी तलवारे ले युद्व भूमि मे कूद गया व पृथ्वीराज को हरा दिया लेक्नि जैसे ही वह उसे मारने जा रहा था आल्हा का गुरु अमरा जी आ गयें व कहां इसे छोड़ दो
आल्हा बात मान गया व दुखी मन से सन्यास ले लिया वह अपने पुत्र ईन्दल को भी साथ मे ले गया ईन्दल व आल्हा दोनो अमर है तब से लेकर अभी तक वह रोज एक फुल माता को चढा जाते है
यह तो थी उनकी कहानी अब हम आपको वो कहानी सुनायेंगे जो हमारे रिश्तेदार की है
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सच्ची कहानी
हमारे एक दूर के रिश्तेदार है एक दिन हम उनसे मिलने गये तो उन्होने एक कहानी सुनाई वो कहानी कुछ इस प्रकार थी -
एक बार वो रिश्तेदार शारदा माता के मन्दिर मे दर्शन करने गये वह रात मे पास की धर्मशाला मे रुके जैसे ही सुबह के चार बजे उन्हे एक शेर की दहाड़ की आवाज सुनाई दी वह दहाड़ संकेत थी कि् अन्दर मन्दिर मे आल्हा की पूजा से माता ने उसे दर्शन दिये है उसके बाद जब वह सुबह अन्दर मन्दिर मे गये तो उनका एक बच्चा हाथ छुड़ा मन्दिर से नीचे उतर आया पास मे तैनात पुलिस अफसरो ने उसे अपने पास रख लिया ताकि् वो खो न जाये
सभी लोग चिंतित हो बच्चो को ढुंढने लगे सभी ईधर - उघर हो गये तभी उस परिवार की एक महिला जिसकी वह सन्तान थी वह अकेले दुखी मन से बैठी थी तभी उसके पास आ एक बूढिया बैठ गयी व बाते करने लगी बातो-बातो मे उसने बाताया की उसका बेटा सुरक्षित है व उसने यह तक बता दिया कि् तुम्हारी झोली मे क्या है उसने काफी देर तक बात करी फिर वह बूढिया चली गयी तभी उनका बच्चे को पुलिस अफसरो ने खोज कर परिवार को दे दिया व परिवार मां के पास जो मन्दिर मे अकेली बैठी थी उसके पास बच्चे को ले आये जब उसने मुड़ कर बुढियास को देखा तो उसे कोई नही दिखा
वह बुढिया माता शारदा थी
तो यह थी उस अमर आल्हा की कहानी, यह एक सत्य बात है जो हमारे भारत की विशेषता है
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यदी आप अमतरा के बारे मे और कुछ जानना चाहते है तो हमारी इन पोस्टो को पढे जिनका लिंक नीचे है -
अमर लोग क्या है ? what are immortal people ?
HOW CAN BECOME IMMORTAL ?
धन्यवाद
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