स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग मे आज  हम बात करेगें उस टापिक पर जो आम है जो आजकल सभी के साथ होता है वो है कि् हमारा   दोस्त कौन है,

 


 

 

 

 

 

 

                 दोस्त भी कितने अच्छे होते है हमारे सुख-दुख का साथी बनते है हमारी बाते जानते है हमारे साथ हर जगह चलते है हमारे राज उनको पता होते है हमारी क्या कमजोरी है उनको पता होती है कितना अच्छा लगता है न सुन कर लेक्नि कभी यह सोचा कि् जिस दास्त को हमारी निर्बलता आदि का ज्ञान  है क्या उसका चुनाव करते समय सावधानी नही बरतनी चाहिए


आज हम इसी के बारे मे बात करेंगे तो आईये विचार विमर्श करते है


    दोस्त







दोस्ती एक ऐसा उपहार है जो ईश्वर ने मानव को दिया इसके द्वारा मानव साथी बना बड़ी से  बड़ी जंग जीत सकता है मित्रता का अर्थ दो या दो से अघिक पक्षो के बीच उस सम्बंध से है जो एक - दुसर के साथ सदैव होते है चाहे वह जीवन का कोई भी चरण हो


परन्तु हर बार ऐसा ही नही होता क्योकि् यह भू-लोक है यहां मानव निवास करते है जिनमे अच्छाई-बुराई दोनो विधमान है ऐसे मे हमारा दायित्व बनता है कि् हम   दोस्त चुनाव मे सावधनी बरते


वास्तव मे मित्र कौन है


 


वास्तव मे हमारा दोस्त वो है जो हामारा उचित मार्गदर्शन करे हमारे साथ सदैव उपस्थित हो, एक सच्चा दोस्त वो ही है जो दोस्त की कमिया उसे बताये ताकि् भविष्य मे वह वो गलितिया सुधार सके,परन्तु आजकल दोस्त की परिभाषा ही बदल गयी है जब तक धन, सम्पित्ती पास होती है हर कोई आ प्रेम से बोलता है और भोला मनुष्य उन्हे दोस्त मान लेता है ऐसे लोग आपके पास धन समाप्त होते ही आपको देखकर अंदेखा कर देते है तो  कौन है वो दोस्त, जो वास्तव मे आपका हितेशी है


भिड़ मे खोया एक अनजान दोस्त

 


 


हमारा समाज एक  भिड़  है यहां कई तरह के लोग आपको मिलेंगे उन्ही मे कोई होगा जो वास्तव मे दोस्त होगा लेक्नि उसे आपको खोजना होगा

उसकी पहचान करना आसान नही होगा उसे आप किसी बातो से नही बल्कि् आकलन कर के ही देख सकते है सच्चा  दोस्त कभी आपके धन आदि की लालच नही करेगा वह सदैव वो कर्म करेगा जो आपके हित मे हो वो आपको अच्छे काम के लिए प्रेरित करेगा व बुरे काम न करने हेतु सावधान भी करेगा वो आपसे न ईष्या का भाव रखेगा न ही कोई अन्य बुरा भाव,

               परन्तु ऐसे किसी को खोजना अत्यन्त मुश्किल है लेक्नि यदी हम खोजे तो जरुर मिल सकता है


 

                         वो दोस्त जिन्हे हम पहचानते नही 

 

 

 




 

आजकल लगभग सबके पास अच्छे दोस्त होते है लेक्नि वह पहचान नही पाते क्योकि् शायद वह दोस्त की परिभाषा ही समझ नही पाते, जरुरी नही कि् वो ही हमारा मित्र है जो हमारी ही आयु का हो या वो ही हो जो हमारी कलास मे हो

   मित्र तो वो है जो हमारा मार्गदर्शन करे, ऐसा ही एक मित्र है हमारे माता-पिता यह वो है जो हमे दुनिया मे सबसे ज्यादा प्यार  करते है वो कभी धोखा नही देते वह हमे अपना ही अंग मानते है वो हमे बनाते है मार्ग पर चलाते है व हमारे उत्तम जीवन की कामना करते है वास्तव मे वो एक ऐसे मित्र है जो सदैव हामारे लिए कार्य करते है


परन्तु कईयो के पास तो माता-पिता भी नही होते या फिर होते है व उन्हे माता-पिता की मित्रता का अनुभव भी होता है लेक्नि फिर भी वह चाहते है कोई ऐसा हो जो हमारे बुलाने पर आ जाये व हर जगह हमारी सहायता करे तो उसे क्या करना चाहिये ?

दोस्त

 

 


 


आज के समय मे मानव को ऐसा मित्र चाहिए जो हर सथान पर उनकी सहायता करे कभी लोगो के कहे पर साथ न त्यागे आपको परन्तु आज के समय मे ऐसा दोस्त मिले कैसे ? तो ऐसा नही

                      एक मित्र है जो सभी का साथ देता है वो सबका है लेक्नि हम पहचान नही पाते


वो मित्र है ईश्वर, यह वह है जो अपनी संतानो का सदैव साथ देता है उनका मार्गदर्शन करता है बल देता है ज्ञान देता है व हर जगह सहायता करता है मानव को चाहिये कि् वह ईश्वर को अपना परम मित्र बना ले, हमारे सभी के धर मे अराधना जरुर होती है हम किसी भी धर्म के हो हम ईश्वर को किसी न किसी रुप  में जरुर पूजते है 

 

 

      हां हमारा तरीका जरुर अलग हो सकता है लेक्नि हम अराधना ईश्वर की ही करते है मानव को चाहिये की वह ईश्वर या अपने ईष्ट को अपना परम मित्र का स्थान दे, रोज  अराधना करे व निश्छल भाव से कर्म करे यदी ऐसा किया गया तो वह न केवल स्वयं का जीवन सुधार लेगा बल्कि इस काबिल हो जायेगा कि् दूसरो को प्रकाश दे पायेगा

 धन्यवाद


 

 

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