धर्म
आपका मेरे ब्लौग मे स्वागत है आज हम उस विषय मे बात करेंगे जो मानव का आधार है जिसके बिना मानव कुछ नही व जो है तभी मानव मे मानवीय गुण है परन्तु बडे़ दुख की बात है की जिस घर्म के बिना मानव कुछ नही, उस घर्म को कोई समझ ही नही पाता है
आज हमारे ब्लाॅग मे इसी की बात करी गयी है मुझे विश्वास है की आज के बाद आप मे सकारात्मक परिवर्तण आयेंगे
घर्म - मानव का मूल
धर्म एक ऐसी चीज है जो मानव का मूल है मतलब धर्म वह है जो मानव के जन्म से पहले ही बन गया था धर्म मानव का आधार है यह मानव को रास्ता दिखाता है एक गुरू की तरह ज्ञान देता है व सदैव रक्षा करता है इसके बिना मानव, मानव नही दानव बन जायेगा इसीलिए धर्म मानव का मूल है उसे मानव को कभी नही भूलना चाहिए
आप जिस भी धर्म के है आपका धर्म आपका मूल है उसे आप किसी के भी कहने पर न छोड़े, यही है जिसने हमारे पूर्वजो को रास्ता दिखाया था व यही है जो आपको रास्ता दिखायेगा
लेक्नि अब एक और प्रशन बनता है हम अपने धर्म को माने तो दूसरे धर्म के लिए हमारा क्या व्यवहार हो ?
धर्म व भ्रम मे अन्तर
धर्म व भ्रम दोनो मे अन्तर है परन्तु दोनो कलयुग मे सामान लगने लगे है आज हमारे आस-पास कई धर्म है व सब अपने धर्म को मानते है जो सही भी है लेक्नि जब बात आती है किसी दूसरे धर्म की तो हमारे आस-पास कुछ लोग भेद-भाव करते है व अपने धर्म की व्याखया कर दूसरे को गलत बताते है
यही से धर्म व भ्रम मे अन्तर शुरू होता है हम अपने धर्म को माने वह धर्म है परन्तु हम अपने धर्म से दूसरे धर्म को गलत बताये फिर चाहे वह हम किसी के कहने के आधार पर करे या फिर स्वयं के मन से वह भ्रम है हम किसी भी धर्म को गलत नही कह सकते यह सब एक है जिसप्रकार एक स्कूल मे कई क्लास होती है व सभी भिन्न ज्ञान देती है परन्तु होती सब सही है व सब एक हैडमास्टर के आधीन होती है उसीप्रकार हमारी दूनिया मे कई धर्म है जो सब सही है यह सभी धर्म उस परम ईश्वर का प्रतिनिधित्व करते है व यदी एक का भी सम्मान नही किया तो मतलब हमने ईश्वर का सम्मान नही किया
धर्म की वास्तकिता
वास्तव मे धर्म वह है जो मानव को करुना सीखाता है धर्म वह है जो मानव को बनाता है सवारता है व इस धरती को स्वर्ग भाति बनाने की प्रेरणा देता है यह हमे भेद-भाव नही, सभी धर्म का सम्मान करना सीखााता है यह हमे बताता है सभी धर्म के लोगो की परवाह कर गरीबी, दुख, दानव अवगुणो के खिलाफ लड़ो लेक्नि इतनी सी बात कोई समझ नही पाता
धर्म का विस्तार
अब एक और बात आती है अपने धर्म का विसतार कैसे करे ?
इसके लिए एक मार्ग है हम दूसरे से उसका धर्म त्याग करा अपना धर्म मे उसे मिला ले क्या यह सही है इसका उत्तर हां भी है और न भी
यदी कोई स्वयं की ईच्छा से धर्म मे आये तो ठीक है परन्तु यदी हम किसी पर बलपूर्वक धर्म स्वीकार कराये तो गलत, इसके अलावा भी एक मार्ग है जिसके द्वारा हमारे धर्म का ही नही, हमारा भी विस्तार होगा व हमारे अच्छे कर्म से हमे ईश्वर प्रेम मिलेगा यह ज्यादा मुशिकिल भी नही यह ऐसा कार्य है जिसको वर्तमान समय मे आसानी से किया जा सकता है तो चलिये जानते है उस मार्ग को,
धर्म का कार्य है मानव को मानवीय गुणो से सम्पन्न करना आज हमारे आस-पास सभी दुख दरिद्र से धीरे हुए है ऐसे मे हम माना आर्थिक रुप से मदद नही कर सकते लेक्नि एक अन्य तरीके से कर सकते है हम उस को उचित मार्ग दे सकते है हम अपने आस-पास के लोगो की मदद कर सकते है जो भी आपके आस-पास दुखी हो आप सर्वप्रथम उसका आकलन करे की वह क्यो दुखी है वह अपने अवगुणो की या नास्तिक होने की वजह से ,रोगेा के कारण या बुराईयो के कारण, किस कारण वह दुखी है इसका पता लगाये फिर उसी प्रकार उसे ज्ञान दे यदी रोग से दुखी है तो योग करने की सलाह या ज्ञान दे यदी वह नास्तिक है तो उसे उसके अराधयो की अराधना करने को कहे और यदी बुरे कर्म की वजह से दुखी है तो बुरे कर्म त्यागने को कहे और यदी यह सब हो या अन्य कोई कारण हो तो उससे कहे की वह अपने अराधय या जिस किसी की पुजा वह करना चाहे उसका पूजन करे व नित्य योग व अच्छे कर्म करे इसके अलावा आप उसे अपने धर्म के कष्ट हरण तरीके बता सकते है लेक्नि आप केवल तरीके का ज्ञान दे व उसे चलना खुद होगा
आर्दश समाज
मेरी नजर मे आदर्श समाज वह है जहाँ किसी धर्म का भेद-भाव नही किया जाये सभी से प्रेम किया जाये समाज ऐसा हो जहाँ ईसाई, मुस्लिम व अन्य धर्म के लोग खुशी से अपनी बच्चीयो को सनातन धर्म के नवरात्र पूजन मे कन्यायो को देवी रुप मे भेजे और सनातन धर्म के लोग व अन्य धर्म के लोग खुशी से मुस्लिम त्यौहारो मे व अन्य धर्म के खुशी के अवसरो पर उन धर्म के लोगो के यहाॅ जाये व उनकी खुशी मे खुश हो
एक ऐसा समाज हो जहाँ हिन्दु ,मुस्लिम, ईसाई ,सिख सभी आपने बच्चो को दुसरे धर्म के पूजन स्थलो पर ले जाये हमारी धरती एक ऐसा समाज चाहती है जहाॅ हिन्दु पूजन स्थलो पर अन्य धर्म के लोग खुशी से बैठे व सनातन समाज से लोगो बाते करे व सभी धर्म के पूजन स्थलो पर सभी धर्म के लोग बैठे व आपस मे बाते करे व सभी अपने जीवन मे सम्पन्नता व मानवता भलाई हेतु कार्य करे
धन्यवाद
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