विचार











 
 
 
 
 
 
 
BY AKASH SINGH AJPOOT
 
 PEN NAME - SHRI DURGA DEVI
 
 
 
 
 
 
 INDEX
 
1               विचार
 
2                विचार का प्रकार
 
3               विचार से सन्तुष्टी 
 
4               विचारो से प्राप्ति 
 
5                विचारो को सम्भालना  
 
 
 
 
 
विचार

 
 
 
 

 
 
 
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नमस्कार आप सभी का हमारे ब्लॉग पर स्वागत है आज हम बात करेंगे विचारो पर, यह विचार भी अपने आप में कितने अदभुद होते है न ?
         हम सभी मानव एक सामान होते है फिर भी हम सबके विचार आपस में नही मिलते, कभी कोई किसी विचार के कारण गम में होता है तो कभी कोई उसी समय किसी अन्य विचार के कारण उल्लास में होता है प्रत्येक समय हर मानव के मन एकसामान विचार नही होते बल्कि उनमें भिन्नता होती है वास्तव में यह विचार ही है जो किसी मानव के भविष्य का चुनाव करवाते है प्रत्येक मानव आज जिस मुकाम पर है वह भूतकाल के किसी विचार से प्रेरित हो चुने हुए मार्ग के कारण है हर मानव अपने विचारो का दास होता है वह जाने-अनजाने में करता वो ही है जिसप्रकार के उसके मन में विचार आते है, अच्छे-बुरे जैसे भी उसके उसके विचार होते है वह मार्ग भी उसी प्रकार का चुनता है व आने वाले भविष्य में भी वह अपने विचार से प्रेरित हो चुने मार्ग का प्रतिफल ही भोगता है इसीलिए मानव को सदैव स्मरन रखना चाहिये कि् वह जो विचार सोच रहा है वो उसके आने वाले भविष्य का तय करेंगे

 
 
विचार का प्रकार

 
 
 

 
 
विचार एक हवा के झोके के सामान होते है हमारे विचार हवा के सामान चंचल होते है यह जहां मन चाहे वहां चले जाते है जिस मोड़ पर मन करे उस  मोड़ पर मुड़ जाते है यह जब चलते है तो जिसप्रकार हवा कभी-कभी मानव को शीतलता का सुख देती है उसी प्रकार हमारे विचार भी कभी - कभी  जब चलते है तो मानव को आन्तिरिक शीतलता देते है और कभी - कभी जिसप्रकार हवा मानव को असन्तोष देती है वैसे ही हमारे विचार भी कभी - कभी हमें असन्तोष देते है, विचार वह अनमोल रत्न है जो मानव को ईश्वर के द्वारा प्राप्त हुआ है


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                मानव यदी चाहे तो वह अकेले स्थान पर भी आनन्द प्राप्त कर सकता है अगर वह अपने अराधय के प्रति आदर भाव रखे व उसका मन्न करे तो वह एकान्त में भी स्वयं के साथ अपने अराघय को पाता है व उसे अराधय की उपस्थिती का एहसास हो जाता है व फिर वह आन्तिरीक रुप से प्रसन्न रहता है व अलग ही आनन्द में रहता है

 
 
 
 
 
विचार से सन्तुष्टी

 
 
 
 

 
मानव आज जो भी कार्य कर रहा है उसका आधार यह है कि् वह अपनी असन्तुष्टि को दूर करने के लिए कार्य कर रहा है अर्थात हर मानव की जीवन में कुछ ईच्छाये होती है जो उसके विचारो से जन्मी होती है वह उन्ही ईच्छाओ की पूर्ति के लिए कार्य करता है व कार्य पूर्ण होने पर जहां उसे सन्तुष्टि मिलती है वही दूसरी ओर कार्य के अपूर्ण रह जाने पर उसे असन्तुष्टि होती है
                       अर्थात यदी देखा जाये तो सन्तुष्टि-असन्तुष्टि सब हमारे विचारो की देन है व यदी मानव इन विचारो को ही काबू में कर ले तो वह सदैव आनन्दमय स्थिती मे होगा, हमारे भारत में कई ऐसे मानवो का वर्णन है जो अमर है उन्हे किसी देवी - देवता द्वारा वरदान है कि् वह अमर रहेंगे
                   आज भी सामान्य जनता को उनके होने का एहसास होता है कुछ ने उन्हे प्रत्यक्ष रुप से देखा है तो कुछ को एहसास हुआ,  तो कुछ ने किस्से-कहानियो में सुना, यह सब अमर मानव आज भी जिवित है परन्तु वह हमेशा आनन्द में रहते है इन अमर लोगो की मौजूदगी का एहसास इस प्रकार होता है कि् यह अपने अराधय के मन्दिर में पूजा करने आते है

 
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आस-पास के लोगो का कहना है कि् कोई मन्दिर में आ रोज एक फूल चढा कर चला जाता है जब आस-पास के लोग मन्दिर का दरवाजा सुबह खोलते है तो उन्हे दिखता है कि् मन्दिर साफ है, उन लोगो का कहना है कि् जब वह सुबह मन्दिर का दरवाजा खोलते है तो वह पाते है कि् पहले से ही किसी ने आ मन्दिर मे झाडु़ मारकर मन्दिर को साफ कर दिया है व पूजा अर्चना कर ली है 
           वह अमर लोग एकान्त वन में अपने अराधय के मन्दिर में सम्पूर्ण रुप से सन्तुष्टि के भाव के साथ झाड़ु लगाते है वह उस स्थान पर अकेले होते है न उनका कोई साथी होता है न कोई दोस्त, क्योकि् वह जिनको जानते थे उनका जीवन काल पूरा हो चुका होता है परन्तु अमर लोगो के साथ ऐसा नही है उन्हे तो बस जीते रहना है - जीते रहना है, समय बीत्ता रहता है व वह सदैव जीवित रहते है इतना समय वह अकेले काट पाते है क्योकि् वह अपने आरापधय के प्रति समर्पित होकर उसके भक्ति भाव में रहते है व जीते जाते है
                      

 
 
 
विचारो से प्राप्ति

 
 

 
प्रत्येक मानव विचारो के आधार पर कर्म करता है व उसी के अनुसार उसे फल प्राप्त होता है यह तो व्यक्तिगत प्राप्ती थी परन्तु विचारो  से समाज को भी प्राप्ती होती है कभी अच्छी तो उसके विपरित,
               हर बार सामाज को विचारो से अच्छी चीज मिले यह अनिवार्य नही, कई बार मानव कुछ ऐसे विचारो को मन में शरण दे देता है जो उससे आगे चलकर ऐसे कर्म करा देते है जो न केवल उसे दुख देते है बल्कि सम्पूर्ण सामाज को दुखी कर देते है विचार एक ऐसी चीज है जिसे सम्भाला नही गया तो वह विनाश ला सकते है इसीलिए विचारो को सम्भालना अनिवार्य है

 
 
 
 
 
विचारो को सम्भालना
 

 
 

मानव के दिमाग में सदैव विचारो के धोड़े दौड़ते है मानव चाह कर भी उन्हे काबू में नही कर पाता है परन्तु एक मार्ग है जिससे मानव के विचारो पर न केवल काबू पाया जा सकता है बल्कि उससे अपनी ईच्छा से सर्जन या सामाज में उचित परिवर्तण भी ला सकता है
       यदी मानव रोज सुबह योग करे व किसी अराधय की अराधना करे जैसे देवी काली, देवी दुर्गा, देवी ज्वाला या शिव आदि या ईश्वर की, जब हम ऐसा करते है तो धीरे-धीरे हम पाते है कि् हमारे दिमाग के विचार काबू पर होता जाता है व एकसमय बाद हमें मानसिक शान्ति का अनुभव होता है जो आगे चलकर हमारे जीवन मे सहायक या दोस्त के रुप मे सिद्व होतें है यह मानसिक शान्ति हमें जीवन में सफल तो वनाती ही है साथ ही साथ हम सामाज को कुछ अच्छा दे भी पाते है  परन्तु यह सब तभी हो पायेगा जब किसी अराधय की अराधना करेंगे फिर चाहे वह ईश्वर हो या उनका कोई और रुप, धार्मिक मानव सफलता  भी प्राप्त कर पाता है व सामाज को कुछ दे भी पाता है

आज का विचार इतना ही था यदी आप हमारे ब्लॉग पर नये है तो हमें कमेंट करके बाताइये की आपको हमारे विचार कैसे लगे

धन्यवाद