प्रकृति



प्रकृति, सुन्ने मे कितना शान्त शब्द है न ? परन्तु इसका अर्थ व महत्व न केवल मानव सभ्यता हेतु जानना अनिवार्य है परन्तु इसका अर्थ मानव सभयता के विकास  हेतु महत्वपूर्ण भी है


       आज हम जब अपने चारो ओर देखते है तो पाते है कि् मानव ने कई अदभुद यन्त्रो का निर्माण कर लिया जिससे न केवल उसने इस धरती के समस्त जीवो पर काबू कर लिया है बल्कि उन जीवो का बेताज बादशाह भी बन बैठा है मानव को अपने उपर गर्व होता है कि् वह धरती का सबसे बुद्विमान जीव है सामान्य मानव जब अपने आस-पास के माहौल पर ध्यान देता है तो यह विचार करता है कि् मानव ने जो उन्न्ति करी है वह ही सबसे उततम है आज हमारे पास अदभुद यन्त्र है जो हमारे जीवन को देवताओ की भाति सरल बना देते है और इस बात पर मानव को अतयन्त धमण्ड होता है

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         परन्तु क्या यह वास्तव मे सत्य है या कुछ और भी है जो हम भूल रहे है ? और उत्तर है कि् हम गलत है व सबसे महत्मवपूर्ण चीज भूल रहे है वो है प्रकृति,

                प्रकृति हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्यो कि् जब हम अपने आस-पास देखेंगे तो पायेंगे कि् सारी कृतिम चीजे जो हमने बनाई है वह सब कही न कही हमारी अनमोल प्रकृति पर निर्भर है सभी चीजो को चलने हेतु ऊर्जा की आवश्यक्ता होती है जो  ऊर्जा हमें प्रकृति  से मिलती हैं इसीलिए हमें मान लेना चाहिये कि् प्रकृति  हमारे लिए अनमोल है परन्तु सब इस बात को नही मान पाते इसलिए आज हमारा यह प्रयास है कि् वह इस जानकारी से प्रकृति के महत्व को समझ पाये


प्रकृति का महत्व





प्रकृति हमारे मानव जीवन मे अत्यन्त महत्व रखती है हम जिस ग्रह पर रह रहे है ह जो खाते है जो पीते है वह सब हमें प्रकृति  से प्राप्त होता है जरा विचार करीये कि् यदी हमारी प्रकृति द्वारा दी वस्तुए खत्म हो जाये तो क्या हेगा? यदी हमारी धरती नष्ट हो गयी तो हम कहां रहेंगे या हमारे पीने का जल समाप्त हो गया तो म क्या करेंगे या फिर यदी हमारे ग्रह का कच्चा तेल समाप्त हो जाये तो क्या होगा ?

        यदी ऐसा हुआ तो हमारी मानव सभ्यता का नाश हो जायेगा लगातार मानव अपने विनाश की ओर कदम बढा रहा है आज हमारी धरती के पास लगातार पीने वाला जल खत्म हो रहा है धु्रवो पर स्थित बर्फ पिधल रही है व जल बढ रहा है तथा रहने वाली भूमि बढ रही है लक्नि अभी भी हम जात-पात, आपसी युद्व , भेद-भाव आदि जैसे हीन मुददो मे फंसे हुए है मानव ने अपने पथ को उस ओर कर लिया है जिस ओर विकास तो हो रहा है लेक्नि साथ मे विनाया भी हो रहा है हम प्रकृति को नुकरसान पहुंचा रहे है व प्रकृति में लगातार इसके असर देखने को मिल रहे है कही पर गर्मी बढती जा रही है तो कही बारिश कम मात्रा मे हो रही है, आज ग्लोबल वार्मिगं ने हमें दिखा दिया है कि् जिस ग्रह पर म रह रहे है उसका ही जीवन हम छीन रहे हैं  लेक्नि अब समय आ गया है कि् ह अपना मार्ग सुधार लें क्योकि् यदी ऐसा न किया तो हमें डर है कि् प्रकृति स्वयं अपना सन्तुलन न बना लें

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प्रकृति का ख्याल



हमें प्रकृति  का ख्याल रखना होगा जिस प्रकार हम अपने धर की देखभाल करते है उसी प्रकार हमें अपने ग्रह की भी देखभाल करनी चाहिये




1 प्राकृतिक संसाधनो का नियमित उपयोग  - हमें प्रकृति द्वारा दिये संसाधनो का उचित उपयोग करना चाहिये ताकि् हम उस हद तक ही उपयोग करे कि् हमारे बाद आने वाले मानव भी इन साधनो का उपयोग कर सके



2 ऊर्जा के स्त्रोत - हमें ऐसे ऊर्जाके स्त्रोतो पर स्वयं को निर्भर करना चाहिये जिनको दोबारा बनाया जा सकता है अर्थात हमें सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा आदि पर निर्भरता बनानी चाहिये ताकि् हम उन स्त्रोतो को बचा सके जो निश्चित मात्रा मे है जैसे - कच्चा तेल, खनिज पदार्थ आदि



3 प्रकृति की देख भाल - हमें प्रकृति की देखभाल करनी चाहिये अर्थात वनो की कटाई को कम कर वनो को लगाने पर ध्यान देना चाहिये, जल को नष्ट करने के बाजाये उसका नियमित उपयोग करना चाहिये , नदियो का जल समुन्द्र मे गिराने के बाजाये नदी को नये मार्ग बना उन स्थानो से निकालना चाहिये जहां सुखे की समस्या हैं, हमें फसलो पर ध्यान देना चाहिये व उन्नत बीजो का उपयोग करना चाहिये




4 प्रकृति के जीवो का सम्मान करना - हमें प्रकृति मे निवास करने वाले जीवो को समाप्त होने से बाचाना चाहिये ताकि् प्रकृति मे सन्तुलन बना रहे



5 सीमा मे रहना - मानव को अपनी सीमा मे रहना चाहिये मानव को जंगलो की कआई पर रोक लगानी चाहिये व ध्यान देना चाहिये कि् वह जंगल व मानव निवास स्थान के मघ्य की सीमा का महत्व करना सीख पाये



6 नयी योजनाये - मानव के पास अदभुद दिमाग है इसलिए मानव को ऐसी योजनाये बानानी चाहिये कि् जिससे धरती फिर से खील जाये


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यह सब वह मार्ग थे जिनसे मानव अपने ग्रह को बचा सकता है  इसके अलावा और भी कई मार्ग है  परन्तु अन्त में हम इतना ही कहना चाहेंगे कि् मानव जो पाना चाहता है वह वो पा ही लेता है जब विकास पाना चाहे तो विकास पाकर ही दम लिया व यदी मानव चाह जाये तो इस धरती को और भी अच्छा बना सकता है