BOOK
IMMORTAL
- BY AKASH SINGH RAJPOOT
हमारे जीवन मे कई लोग हमे मिलते है अच्छे-बुरे, भोले-चालाक, हमसे बडे या छोटे यह सब तो सामान्य धटनाये है लेक्नि मानव के जीवन मे इससे कई कहानियां बन जाती है जो आगे चलकर वह दूसरो को सुनाता है
हमारी आज की कहानी एक एसी कहानी है जो न केवल रोचक है बल्कि दो ऐसे जीवो की है जिन्मे से एक तो इस काल का है लेक्नि दूसरा किसी और ही काल का है एक अच्छाई मे रहती है तो दूसरा वह है जो किसी पुरातन जंग मे उससे जा भिड़ा था जो उसकी सन्तान था जिसने इस जग को बनाया है दोनो मे धमासान युद्ध हुआ जगत जननी माता के बेटे ने उस राक्षस को पराजित कर दिया लेक्नि उसने प्राणो की भीख मागीं तब उस यौद्धा ने राक्षस को माफ कर दिया व तब से वह जीता जा रहा है उसका कोई लक्ष्य नही है लेक्नि फिर भी लगभग अमर होकर इस धरती पर वह विचरन कर रहा है तो दोस्तो मुझे उम्मीद है की आपको यह कहानी जरुर पसंद आयेगी
CHAPTERS
CHAPTER ONE - GLOSY TOWN
CHAPTER TWO - Talk at the dinner table
CHAPTER THREE - TALK TO THE PRIEST
CHAPTER FOUR - ERA"S GARDEN
CHAPTER FIVE - THE TRUTH
CHAPTER SIX - THE UNKNOWN TRUTH
CHAPTER SEVEN - THE MISTAKE
CHAPTER EIGHT - HELP
CHAPTER NINE - THE WAR
CHAPTER 1
GLOSY TOWN
गलोसी टाउन अपनी कहानीयो के लिए वैसे भी जाना जाता था फिर चाहे वह वहॉ का रोचक मन्दिर हो या लोगो की हुई मदद हो, हर कोई उस स्थान पर जाना पसंद करता था वेरीयाडा फैमिली भी उस टाउन मे नयी ही आयी थी कारण था वेरीयाडा फैमिली के हेड ऑफ द फैमिली का हुआ तबादला , वह अच्छी फैमिली थी उसमे माता-पिता व उनकी दो संताने थी एक लड़का व एक लड़की पिता का नाम हेडेसटर वेरीयाडा, माता का नाम पेटरुशीया वेरीयाडा लड़के का नाम औलेन व लड़की का नाम सेलवी वेरियाडा था लड़का आयु मे बड़ा व लड़की छोटी थी
वह खुशहाल फैमिली थी उन्होने टाउन का बन्द पड़ा मकान खरीद लिया था व साफाई करा सामान शिफट कर लिया था उन्होने अभी बच्चो का स्कूल मे दाखिला नही कराया था धर का काम होने के बाद हेडेसटर ने विचार किया की बच्चो को धूमा लाये वह उन बच्चो को खेल के मैदान मे ले गया वह मैदान अत्यन्त आकर्षक था वहॉ कई सुन्दर फुल लगे थे व वहॉ कई झुले भी थे वेरीयाडा दोने बच्चो को एक झुले पर बैठा देता है व वह उपर-नीचे झूल खेलने लगते है वहॉ बसंत ऋतु की धुप निकली थी तभी वहॉ एक अंजान हवा का झौका आता है व उनसे टकरा कर जाता है उसमे से ऐसी आवाज आती है कि् मानो वह हवा उनसे कुछ कह कर निकली हो वह अहसास अदभुद था वह बच्ची अत्यन्त प्यारी लग रही थी व वह लड़का ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग निवासी हो वो दोनो मे मासूमियत दिख रही थी
वहाँ कुछ अजीब लग रहा था ऐसा लग रहा था मानो कोई हवा का झोका आया हो व वही आस-पास हो जैसे वो हवा नही बल्कि कोई ऐसा हो जिसमे जीवन हो तभी वहाँ एक आदमी आता है व हेडेसटर के पास आता है वह आते ही हेडेसटर से हाथ मिलाता है
आदमी - हेलो मेरा नाम जेरेमी ऐशलूक है मै यही पास मे रहता हुँ मुझे लगता है आप ही है वो नये पड़ोसी आपके बारे मे सुना था
हेडेसटर - आपसे मिलकर खुशी हुई यहाँ लोग काफी सजजन है
जेरेमी - धन्यवाद, तो सारा शिफटिंग का काम हो गया अगर नही तो मै मदद कर सकता हुँ
हेडेसटर - धन्यवाद लेक्नि सारा काम हो गया है
जेरेमी - ठीक है अगर कभी भी कोई जरुरत हो तो मेरा धर आपके बगल मे ही है
हेडेसटर - धन्यवाद
जेरेमी - आपके बच्चे काफी प्यारे है
हेडेसटर - धन्यवाद
जेरेमी - क्यो न आज आप हमारे साथ रात मे खाना खाये वैसे मै बता दु मेरी वाइफ काफी अच्छा खाना बनाती है
हेडेसटर - जी जरुर हम आयेंगे
जेरेमी - बच्चो को भी साथ मे लाईयेगा
हेडेसटर - जी जरुर
जेरेमी - अच्छा मै चलता हुॅ मुझे देर हो रही है
हेडेसटर - जी मिलकर खुशी हुई
इतना कह जेरेमी चला जाता है हेडेसटर अपने बच्चो को लेता है व जाने लगता है वह जैसे ही बच्चो को ले मुड़ता है एक हवा का झोका चलता है जो उससे टकरा कर जाता है हेडेसटर का शरीर काप उठता है वह हैरानी से देखने लगता है तभी उसकी बच्ची परेशान हो कहती है -
सेलवी - फादर क्या हुआ ?
हेडेसटर - कुछ नही मुझे लगा कोई मेरे पास से निकला
हेडेसटर अपने बच्चो को ले चला जाता है लेक्नि शायद उसे नही पता था कि् वह शहर उसकी सोच से ज्यादा अलग है
CHAPTER TWO
Talk at the dinner table
शाम को तैयार हो हेडेसअर फैमिली, जेरेमी के धर चली जाती है दरवाजे की धण्टी बजाते ही एक सुन्दर औरत दरवाजा खोलती है -
औरत - स्वागत है आपका मेरा नाम है वॉलसी वॉलवेक, मै जेमेसी की पत्नी हुँ आईये आपका ही इनतजार था
वह हेडेसअर फैमिली को खाने की टेबल पर बैठाते है तभी सामने से जेमेसी आता है व स्वागत करता है
जेमेसी - स्वागत है दोस्त
हेडेसटर - हमें खुशी है आपने हमे बुलाया
जेमेसी - दरअसल इसी बहाने एक नया दोस्त बन जायेगा
सभी हसने लगते है जेमेसी उनके सामने खाने को पेश करता है
हेडेसटर - यह तो मेरा फैवरेट है
सभी खुश हो खाना खाने लगते है
जेमेसी - तो यह जगह चुनाव का कोई विशेष कारण
हेडेसटर - नही दरअसल मेरी कम्पनी ने मेरा ट्रांसवर यहॉ कर दिया है
जेमेसी - अच्छा मैने सोचा आप वो मन्दिर हेतु आये है
हेडेसटर - मन्दिर कैसा मन्दिर ?
जेमेसी - आपको सही में नही पता
हेडेसटर - नही
जेमेसी - वो मन्दिर तो ही है गलॉसी टाउन की शान
हेडेसटर - क्यो ऐसा क्या है उस मन्दिर में ?
जेमेसी - खास बात है नही, खास बात दिखती है
हेडेसटर - अर्थात ?
जेमेसी - वो मन्दिर का इतिहास अत्यन्त पुराना है उसे समय-समय पर कई राजाओ ने तुड़वाना चाहा लेक्नि ऐसा कोई कर नही पाया उल्टा जो तुड़वाने आये थे उन्होने उसकी मरमत करवाई
हेडेसटर - क्यो ?
जेमेसी - वह मन्दिर को जो तोड़ने का सोचते वह तोड़ नही पाते थे पता नही वह किस धातु से बना है वह अत्यन्त कठोर है हमारी सरकार ने भी उसे ऐतिहासिक धरोहर धोषित कर दिया है
हेडेसटर - अच्छा किस समय से है मन्दिर ?
जेमेसी - पता नही
हेडेसटर - क्या ?
वॉलसी - आप उन्हे खुल के क्यो नही बताते है
हेडेसटर - क्या नही बताते है ?
वॉलसी - दरअसल बात यह है कि् वह मन्दिर की जाच से पता चलता है कि् वह अत्यन्त पुराना है लेक्नि कोई नही जानता कि् उसका इतिहास क्या है 16 वी शताब्दी के करीब यह खोजा गया था उससे पहले का कोई इतिहास नही जानता है
हेडेसटर - अच्छा किस धर्म का है वो ?
जेमेसी - भारत नामक एक देश है वहॉ सनातन नाम का एक धर्म है यह उसी धर्म का मन्दिर है उसमे जो मूर्तिया है व चिन्ह है वो उसी धर्म के है
हेडेसटर - तो इसी लिए यह मन्दिर मशहूर है
जेमेसी - नही बात इतनी सी नही है
वॉलसी - दरअसल बात यह है कि् 16 वी शताब्दी से अभी तक वहॉ रोज कोई दुर्गा माँ को एक फूल चढा कर चला जाता है
हेडेसटर - कौन मॉ दुर्गा ?
वॉलसी - वह सनातन धर्म मे पूज्य देवी है कोई रोज आ उनकी पूजा कर एक फूल चढा कर चला जाता है मन्दिर के पहरेदार कहते है कि् उनको कोई दिखता नही है लेक्नि रोज मॉ दुर्गा के पैरो मे एक फूल चढा मिलता है वह कमल का फूल ऐसा है कि् जिस तरह का फूल मानवो ने आज तक नही देखा और न ही हम उसे बना पाते है वहॉ के पण्डित कहते है जो यहॉ पूजा करने आते है वह अमर है उस मन्दिर मे रात मे जो रुकता है वह अपना मानसिक सन्तुलन खो देता है
हेडेसटर - मैने पहले कभी ऐसा मन्दिर नही देखा
जेमेसी - किसी ने नही देखा
हेडेसटर - क्या आप इसमे मानते है ?
जेमेसी - साक्ष्य हो तो मानना पड़ता है
हेडेसटर विचार मे हो जाता है
जेमेसी - आप तो सोचने लगे आपका खाना ठण्डा हे रहा है
सभी खाना खाने लगते है लेक्नि हेडेसटर उसी के बारे मे सोच रहा था वह सब साथ खाना खा के टेबल से उठ जाते है
हेडेसटर - आपका इतना बेहतरीन खाना खिलीने का धन्यवाद
जेमेसी - यह तो हमारा सौभागय है
सब हसॅ कर बात करने लगते है तत्पश्चात वह जाने लगते है जेमेसी फैमिली उन्हे दरवाजे तक छोड़ने जाते है
जेमेसी, हेडेसटर से हाथ मिलाता है हेडेसटर उसके हाथ पर हाथ रख उससे धीरे से पुछता है
हेडेसटर - एक बात बाताओ क्या यह बात सही है कि् उस मन्दिर मे कोई ऐसा पूजा करने आता है जो अमर है
जेमेसी - दूनियाँ मे कई ऐसी चीजे है जो मानव की समझ के परे है मै एक सलाह देता हुँ कि् ऐसी चीजो को सम्मान की नजर से देखो उन्हे ललकारना नही
हेडेसटर - मै ध्यान रखूगां
जेमेसी - यह ही हम सबके लिए अच्छा है
हेटेसटर कुछ सोचने लगता है उसे देख लग रहा था कि् वह मानो कुछ गहन विचार कर रहा है शायद वह जानना चाहता था कि् ऐसा भी हो सकता है क्या ?
वह अपने धर चले जाते है हेडेसटर को वो मन्दिर अच्छा लगने लगा था शायद यही कारण है कि् वो भविष्य मे वहॉ जा के स्वयं देखेगा
CHAPTER - THREE
TALK TO THE PRIEST
हेडेसअर सुबह होते ही धर से बाहर जाता है व उसका एक लक्ष्य होता है उस मन्दिर तक जाना तभी उसे एक आदमी दिखता है वह उसे रोक उस मन्दिर का पता पूछता है
हेडेसटर - हेलो सर क्या आप मुझे बता सकते है कि् वो मन्दिर कहॉ है जो इतना मशहूर है
आदमी - जी जरुर इस सड़क पर चलते जाईये व आपको यह एक ऐसे रास्ते पर ले जायेगी जिसके दोनो ओर वन है लेक्नि यह आपको थोड़ी दूर मिलेगी क्योकि् मन्दिर शहर से बाहर है वो सड़क जैसे ही खत्म हागी आप के सामने मन्दिर होगा
हेडेसटर - धन्यवद
आदमी - कोई बात नही
हेडेसटर बताये रास्ते पर जाने लगता है वह चलता जाता है उसका एक लक्ष्य था मन्दिर वह सूर्य के उदय होने पर ही निकल गया था उसे कुछ धण्टे लग जाते वहॉ पहुॅचने में वह शहर से बाहर आ जाता है वह चलता जाता है जल्द ही वह उस मन्दिर पर पहुॅच जाता है वह मन्दिर के उपर देखता है तो एक पताका हवा मे झुल रही थी वह सनातन धर्म का झण्डा था वह मन्दिर अदभुद था लेक्नि वह वहॉ अकेले था वह पीछे मुड़ कर देखता है तो एक पण्डित आ रहा होता है वह पण्डित हेडेसटर के पास आता है व बात करता है
पण्डित - हेलो , आप तो काफी जल्दी आ गये मै भी बस अभी ही आया हुँ
हेडेसटर - जी हम यहॉ नये आये है यह आपने कैसा पहनावा पहना है
पण्डित - मै सनातन धर्म का पण्डित हुँ सरकार ने मुझे इस मन्दिर की पूजा आदि हेतु रखा है मै यहॉ का रहने वाला हुॅ लेक्नि हुॅ सनातन धर्म का व ज्ञान भी अर्जित किया है
हेडेसटर - तो क्या सही में कोई रोज यहॉ आ पूजा करके चला जाता है
पण्डित - जी हां
हेडेसटर - क्या सही में ?
पण्डित - चलीये मेरे साथ
वह पण्डित उसे मन्दिर के अन्दर ले जाता है वह ताला खोल अन्दर जाते है वह मन्दिर देख हेडेसटर हैरान हो जाता है वह अत्यन्त पुरातन लग रहा था उस पर कई लेख लिखे थे लेक्नि वह जिस भाषा मे लिखे थे वह अज्ञात थी पण्डित उसे लेजा एक मुर्त के सामने खड़ा कर देता है वह उसे उस मूर्त का पाव दिखाता है हेडेसटर हैरान हो जाता है
उस मुर्त के पाव मे एक ताजा कमल का फूल चढा होता है लग रहा था यह कुछ धण्टे पहले ही चढाया है वह पुष्प था तो कमल का लेक्नि अत्यन्त आकर्षित था वैसा फुल उसने पहले कभी नही देखा था
वह उस फूल को देखता रहता है मानो वो उसी मे खो गया हो तभी पण्डित उसे एक बात बताता है
पण्डित - जब मै नया आया था तो एक बार मुझे शाम को नीन्द अघिक आ रही थी व मै मन्दिर मे बने कमरे में सौ गया था उस दिन आमावस्या थी मेरी रात बारह बजे आँख खुली, मुझे कुछ अजीब लग रहा था मैने उठ झीरी से झाका तभी मुझे वो दिख गया जो शायद किसी सामान्य मानव को नही देखना चाहिए था
मैने देखा कि् चारो तरफ अंधेरा था तभी एक रोशनी आती है व वह एक मानव मे बदल गयी वह कद मे दस या बारह फीट की थी वह एक औरत थी वह इतनी सुन्दर थी कि् मानो स्वर्ग की अपसराये उसके सामने कुछ न हो उसने आकर्षक वेष धारण किया था व उसकी छाती पर एक पदक लगा था वह पदक को मै नही जानता लेक्नि उसके बीच मे दुर्गा चिन्ह लगा था वह सीधा मूर्ति के सामने आतीं है व ध्यान लगाती है तभी चारो ओर दिये जल जाते है वह माता के चरनो मे बैठ गणेश , काली माता , ज्वाला माता , व शीतला माता व शिव के मन्त्रो का उच्चारण करती है तत्पश्चात वह दुर्गा माता के मन्त्र का उच्चारण करती है वह हाथ उठाती है तभी उसके हाथ मे कमल का फूल आ जाता है वह माता के चरणो मे फूल चढा देती है
हेडेसटर - कया आपने फिर कभी उसको देखा ?
पण्डित - हां कुछ दिन पहले ही मै कुछ ज्यादा ही थक गया था तो मै मन्दिर मे ही रुक गया मैने उसे दोबारा देखा
हेडेसटर - तो क्या वो अमर है ?
पण्डित - मैने जब पहली बार उसे देखा था तो मै बीस साल का नव युवक था व अब देखो कितना बूढा हुं लेक्नि वो अभी भी वैसीं ही है न बुढी हुई न बदली
बेटा कुछ चीजे दुनिया मे ऐसी होती है जो हमारी सोच से अलग है हमे सदैव उनका सम्मान करना चाहिए
हेडेसटर विचार करने लगता है हेडेसटर उस दिन पण्डित के साथ ही बैठ पूजा करता है तत्पश्चात ही धर जाता है वह सन्तुष्ट हो गया था लेक्नि क्या उसकी बेटी भी इतनी आसानी से सन्तुष्ट हो पायेगी या फिर वो कुछ ऐसा कर देगी जो शायद उसे नही करना चाहिए था
CHAPTER FOUR
ERA"S GARDEN
सेलवी व औलेन समय के साथ बडे़ होते गये इन बित्ते समय मे कुछ ज्यादा परिवर्तण नही आया लेक्नि वह उस मन्दिर की ओर कुछ ज्यादा नही खीचे
सेलवी 18 वर्ष की हो गयी थी व औलेन 19 वर्ष का वह दोनो
LITTLE GARDEN SCHOOL OF KNOWLEDGE
मे पढते थे औलेन कुछ अलग व्यक्तित्व का था उसे किसी से ज्यदा बोलना अच्छा नही लगता था व सेलवी भी कुछ अलग ही रहती थी सेलवी रोज जा एक गार्डन मे बैठती थी वह वहॉ जाती तो अकेली थी लेक्नि वह व अकेली नही होती थी कोई था जो उसके आस-पास ही रहता था लेक्नि उसे दिखता नही था एक दिन वह गार्डन मे धास के मैदान मे लेटी थी वहॉ बसंत की धूप निकली थी व सुन्दर पुष्प उसके आस-पास थे वह निन्द मे होती है तभी एक हवा का झोका चलता है सेलवी उठ जाती है ऐसा उसके साथ कई बार हुआ था सेलवी को लगता है जैसे वहॉ कोई था सेलवी पूछती है
सेलवी - क्या कोई है यहॉ ?
लेक्नि उसे कोई दिखता नही है वह पीछे मुड कर देखती है लेक्नि पीछे भी कोई नही था वह हवा का झोका फिर चलता है सेलवी सामने देखती है तो एक लड़का उसके साने होता है
सेलवी - आप कोन है ?
लड़का - मै आपको रोज देखता था सेचा आज बात कर लू
सेलवी - जब रोज देखते थे तो बात क्यो नही करते थे ?
लड़का - हम ऐसे नही कर सकते हमारे कुछ नियम होते है
सेलवी - मै समझी नही
लड़का - वो जवाब मत मांगीये जो आप सुन्ना नही चाहती
सेलवी - लगता है आप मजाकिया है
लड़का - आप यहॉ रोज आती है
सेलवी - हॉ
लड़का - क्या मै यहॉ बैठ सकता हुॅ ?
सेलवी - यह इरा का गार्डन है जो सार्वजनिक है जरुर बैठीये
लडका वही बैठ जाता है
सेलवी - आप कहॉ पढते हो
लड़का - मेरी शिषा ते कब की पूरी हो गयी
सेलवी - मेरा नाम सेलवी वेरीयाडा है
लड़का - मेरा नाम लोरेंसो वेटीक है असली तो नही लेक्नि कुछ 900 सालो से इसी नाम से जाना जाता हुॅ
सेलवी हसने लगती है
सेलवी - आप तो बहुत मजाकिया हो
लोरेंसो - धन्यवाद
सेलवी - यहॉ कहॉ रहते है
लोरेंसो - पास ही मेरा धर है
सेलवी - लगता है हम अच्छे दोस्त बनेगें
लोरेंसो - उम्मीद करता हुॅ ऐसा ही हो
सेलवी व लोरेंसो रोज मिलने लगे वह हर दिन मिलते व बाते करते सेलवी को पहली बार कोई ऐसा मिला था जो उसकी इतनी परवाह करे लेक्नि शायद वह नही जानती थी कि् वह किस से दोस्ती रख रही है
CHAPTER FIVE
THE TRUTH
लोरेंसो रोज सेलवी को मिलता व वह दोनो बैठ कर गार्डन मे बात करते वह खुश थे कि् वह साथ थे
लोरेंसो - तो आज तुम स्कूल गयी थी
सेलवी - हां गयी थी लेक्नि कुछ खास नही हुआ वो ही रोज का स्कूल, लेक्नि मुझे स्कूल के दोस्त ज्यादा पसंद नही
लोरेंसो - क्यो क्या उन्होने कुछ किया तुम्हारे साथ ?
सेलवी - नही वो तो मुझे ऐसे ही पसंद नही
लोरेंसो - मै तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हुं
सेलवी हसने लगती है
सेलवी - अच्छा तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे कि् तुम पुराने मन्दिर का राज मुझे दिखा सकते हो
लोरेंसो - हां मै कर सकता हुं
तभी एक पक्षी की आवाज आती है सेलवी उठ कर देखने लगती है उसे दिखता है कि् एक पेड़ पर चिड़िया टहनियो मे फंसी हुई है
सेलवी - यह पक्षी तो मर जायेगा लेक्नि इतने उचे जाये कैसे ?
लोरेंसो - क्या तुम्हे उसकी जान बचानी है ?
सेलवी - हां, लोरेंसो तुम कुछ कर सकते हो
लोरेंसो - हां मै कर सकता हुं
सेलवी - तो करो न, इससे ईश्वर खुश होगा
लोरेंसो - ईश्वर खुश हो या नही लेक्नि मै तुम्हारे लिए जरुर करुंगा अपनी आंखे बन्द करो
लोरेंसो, सेलवी की आंखे बन्द कर देता है सेलवी को महसूस होता है कि् मानो एक हवा का झोका उसके पास से गया व कुछ ही देर मे वापस आ गया सेलवी
आंखे खोलती है तो लोरेंसो को देखती है व उसके हाथ मे पक्षी होता है
सेलवी पक्षी को हाथ मे ले लेती है
सेलवी उस पेड़ की उचाई देखती है वह पेड़ अत्यन्त उचा था
सेलवी - यह तुमने कैसे किया ?
लोरेंसो - यह मै तुम्हे नही बता सकता मुझसे कभी यह मत पूछना
सेलवी - अच्छा तुम मेरे लिए कुछ भी कर सकते हो न तो मुझे वो पुराने मन्दिर का राज देखना है
लोरेंसो - उस राज व मेरा पुरात्न रिश्ता है अगर कुछ भी गलत हुआ तो मेरी जान जा सकती है लेक्नि मै तुम्हे वो राज दिखाउंगा लेक्नि तुम्हे मेरे से कुछ वादे करने होगें
सेलवी - कौन से वादे ?
लोरेंसो - पहला कि् तुम यह राज किसी से नही बाताओगी, दुसरा कि् तुम उससे मेरे बारे मे नही पूछोगी व आखिरी की तुम उसका अपमान नही करोगी
सेलवी - मुझे स्वीकार है
लोरेंसो - ठीक है तो कल आमावस की रात है कल तुम मुझे मन्दिर के पास मिलना
सेलवी - ठीक है कल मेरे माता-पिता धर पर नही होगें
लोरेंसो - तो ठीक है तो अब मै तुम्हारी यह ईच्छा भी पूरी कर दुगां
सेलवी को नही पता था कि् वह किस से मिलने जा रही है व किसके साथ जा रही है और इसका क्या असर होगा
CHAPTER SIX
THE UNKNOWN TRUTH
आमावस की रात सेलवी उस मन्दिर वाली रोड पर आ जाती है लेक्नि उसे वहां कोई दिखता नही चारो तरफ गहरा अंधेरा था सभी तरफ से रात की जीवो की आवाजे आ रही थी तभी सेलवी को लगता है की एक हवा का झोका उसके पीछे आ गया है सेलवी मुड़ कर देखती है तो वहां लोरेंसो को पाती है
सेलवी - कहां थे तुम ? मै कितना डर गयी थी
सेलवी, लोरेंसो के गले लग जाती है
लोरेंसो - मै तुम्हारे आस-पास ही था मै तुम्हे कुछ नही होने दुगां
सेलवी - यहां भयानक आवाजे आ रही थी मै डर गयी थी
लोरेंसो - एक बात याद रखना मै कभी तुम्हे अकेला नही रहने दे सकता, अब चलो हमे जाना है
लोरेंसो, सेलवी को मन्दिर के पास ले जाता है वह हाथ घुमाता है व ताला खुल जाता है
लोरेंसो - सेलवी तुम अन्दर जाओ व याद रखना उनको पूजा करते समय परेशान मत करना
सेलवी - तुम भी चलो
लोरेंसो - मै नही जा सकता मेरी कुछ सीमाये है
सेलवी - मुझे डर लग रहा है
लोरेंसो - डरने कि कोई बात नही है वो बहुत अच्छी है एक समय में उन्होने दानवो से जंग मे किसी का साथ दिया था वा मानवता को बाचाया था वो कभी किसी का अहित नही करती वो बहुत अच्छी है
सेलवी - तुम्हारी इस बात ने तो मेरा डर निकाल दिया लेक्नि कौन सी जंग और किसकी मदद करी थी
लोरेंसो - था एक अदभुद यौद्वा, जो महान था लेक्नि फिर भी हार गया
सेलवी - यदी महान था तो हारा क्यो ?
लोरेंसो - क्योकि् वो कुछ ज्यादा ही अच्छा था अब जाओ वो आने वाली होंगी
सेलवी जा मन्दिर मे गुम्बद के पीछे छुप जाती है उसे वहां काफी देर हो जाती है लेक्नि कोई भी नही आता उसे लगने लगा कि् यह सब नकली है व झुठ है वह उठ जाने लगती है परन्तु तभी कुछ अजीब माहौल हो जाता है सेलवी धड़ी मे समय देखती है तो बारह बज रहे होते है सेलवी उठ देखती है उसे दिखता है कि् एक रोशनी आ मन्दिर की सीड़ियो पर रुक जाती है तत्पश्चात वह एक मानव आकार ले लेती है सेलवी हैरान हो जाती है अचानक वह एक औरत का रुप ले लेती है
वो इतनी सुन्दर थी कि् मानो उस सा सुन्दर कोई न हो उसके बाल लम्बे थे जो कमर तक आ रहे थे उसने अदभुद पौशाक पहनी थी जो चमक रही थी मानो स्वर्ण की बनी हो उसकी पौशाक पर एक पदक लगा था उसकी हाईट दस या ग्यारह फिट थी वह आ मन्दिर मे प्रवेश करती है उसके मंत्र पढते ही मन्दिर रोशन हो जाता है वह आ सीधे मां दुर्गा के चरणो मे बैठ माता काली, ज्वाला, शीतला व शिव का मंत्र पएती है तत्पश्चात वह माता दुर्गा का मंत्र पढती है वह हाथ उठाती है तो उसके हाथ मे एक फूल आ जाता है वह माता को फूल अर्पण करती है सेलवी यह देख डर जाती है उसके हाथ कापने लगते है व वह मन्दिर के अंधेरे तरफ भागती है व तत्पश्चात छुप कर देखने लगती है वह औरत पूजा सम्पन्न कर लेती है तत्पश्चात सेलवी को वह नही दिखती,
तभी सेलवी को लगता है कि् उसके पीछे कोई है वह पीछे देखती है तो हैरान हो जाती है वह औरत अंधेरे मे उसके पीछे होती है सेलवी नजर झुका लेती है
सेलवी - मुझे आपको परेशान नही करना था मै तो केवल आपको देखने आयी थी मुझे माफ कर दिजिये
वह औरत धीरे से वहां से चली जाती है वह जा अधेंरं मे बैठ जाती है
सेलवी को उसे देख लगता है कि् दुनियां आदि का त्याग कर दे व उसी के साथ रहने लगे वह अमर थी अजर थी दुनिया मे रह के मिलेगा क्या रोग, दुख व पतन, लेक्नि अगर वह औरत के पास रहे तो परम शान्ति मिल जायेगी वह औरत बैठी आकर्षित लग रही थी सेलवी जा उसके पैरो मे बैठ जाती है
सेलवी उसके पैर दबाने लगती है
सेलवी - मुझे अपने सेवकक के रुप मे स्वीकार करीये
आप कौन है ? व क्या राज है इस मन्दिर का, क्या आप अमर हो ?
वहऔरत धीरे से उत्तर देती है
औरत - मेरा नाम सारिंद्री है मै इस काल की नही हुं मै दुर्गा काल की हुं मै दुर्गा यौद्वाओ के साथ जंग करी थी राशसो के विरुध, मुझे दुर्गा माता से अमरता का वरदान मिला है
सेलवी - आप मेरी भाषा बोल सकती हो ?
सारिन्द्री - मै दुनियां की हर भाषा बोल सकती हुं तुम जिसके साथ आयी हो उसके बारे मे कुछ जानना चाहती हो
सेलवी - नही उसे तो मै जानती हुं वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है
सारिन्द्री - वो एक राक्षस है उसका नाम पवनवेग है दुर्गा काल मे उसकी व माता दुर्गा के यौद्वा की जंग हुई थी माता दुर्गा के यौद्वा ने उसे बुरी तरह पराजित कर दिया था तत्पश्चात उसने दया याचना करी तो यौद्वा ने उसके प्राण बक्श दिये वह अब अच्छे मार्ग पर है वह तुमसे बहुत प्यार करता है उसे कभी खोना नही
सेलवी - मुझे विश्वास नही हो रहा है
सारिन्द्री - हर बार वो नही होता जो हम चाहे
सेलवी - आप कितनी ताकतवर है ?
सारिन्द्री - मै इतनी बलि हुं कि् भेड़ियो-पिशाचो, दानवो को अकेले ही मार दु लेक्नि मै इस काल की नही हुं व नियमो के अनुसार जब तक मेरा कोई आवाहन नही करता, मै नही आ सकती
सेलवी - क्सा आप मुझे अपना सेवक स्वीकार करेगीं ?
वह कुछ देर सोचती है
सारिन्द्री - वो हमेशा कहा करता था कि् मेरे सेवक न बनो माता के बन जाओ, आज तुमने उनका स्मरण करा दिया
सेलवी - किनका ?
सारिन्द्री - था कोई जो सबके बारे मे सोचता था लेक्नि यह पापी समाज उसे खा गया मै एक जीव हुं तुम माता दुर्गा की अराधना करा करो
मुझे तो तुम दोस्त मानो
सेलवी - अगर मुझे दोबारा मिलने का मन करे
सारिन्द्री - तो मन मे मेरा घ्यान करना मै आ जाउंगी
सेलवी उससे बात कर सन्तुष्ट हो जाती है
सारिन्द्री - अब तुम जाओ मेरे जाने का समय हो गया है
सेलवी वहां से चली जाती है वह बाहर आ औलेंस के पास आती है वह अत्यन्त खुश थी वह आ औलेंस के गले लग जाती है लेक्नि तभी उसे याद आता है कि् औलेंस राक्षस है वह आंखे खोले देखती है तो पाती है कि् चारो तरफ गहरा अंधेरा था सेलवी डर जाती है
सेलवी - दूर हट जाओ मेरे से
औलेंस - तुम मेरे से डर रही हो ?
सेलवी - मै तुम्हारी सच्चाई जान गयी हुं मुझे अपना असली रुप दिखाओ
औलेंस - लेक्नि
सेलवी - मुझे दिखाओ नही तो मै तुमसे कभी नही बोलूगां
औलेंस - तो देखो
औलेंस आंखे बन्द कर घ्यान लगाता है अचानक वह एक बड़े तुफान का रुप ले लेता है वह विशाल काला तुफान था इतना विशाल कि् एक शहर को तबाह कर दे वह विशाल रुप ले बात करता है
औलेंस - यह है मेरा वास्तिवक रुप, मै कई सदियो से जी रहा हुं मुझे कोई आम जीव नही मार सकता
सेलवी डर जाती है अचानक वह पहले के रुप मे आ जाता है
औलेंस - सेलवी अपने आप को सम्भालो मे तुम्से प्यार करता हुं
तभी सेलवी गिरने लगती है वह पवन रुप ले सेलवी को सम्भाल लेता है
औलेंस - हम दोने एक जीव नही तो क्या तुम मेरा साथ नही दोगी
सेलवी को समझ मे आ जाता है कि् उसका प्यार सच्चा है
सेलवी - मुझे माफ करना दोस्त
आज सेलवी ने उसे दानव रुप मे स्वीकार कर लिया था लेक्नि कोई नही जानता था कि् आगे क्या होगा
CHAPTER SEVEN
THE MISTAKE
सेलवी व लौरेंस गार्डन मे बैठे थे वह आपस मे बाते कर रहे थे वह खुश थे लौरेंस को सेलवी की मासूमियत अच्छी लगती थी लेक्नि शायद यह मासूमीयत ही किसी का अहित कर देगी
सेलवी व लौरेंस आमने-सामने बाते कर रहे थे तभी अचानक सेलवी के स्कूल के दोस्तो की आवाज आती है सेलवी पीछे मुड़ उन्हे देखती है व आवाज देती है
दोस्तो मे यहां हुं, लौरेंस यह मेरे स्कूल के दोस्त है
लेक्नि जैसे ही वह सामने देखती है लौरेंस नही होता है तभी उसके दोस्त आ जाते है
हेलिड - सेलवी मै तुम्हारे धर गया था तो पता चला तुम यहां हो, क्या तुम यहां किसी के साथ थी ?
सेलवी - नही मै यहां अकेली ही थी
वह अपने दोस्तो से बाते करने लगती है
हेलिड - जानती हो सेलवी औरेड कल रात उस मन्दिर के पास गया था इतना बहादुर है यह
पैलविक - हां यह तो है वैसे कभी सोचा है उस मन्दिर मे आता कौन होगा ?
औलेड - क्या पता ?
सेलवी - मै जानती हुं
हेलिड - तुम्हे कैसे पता ?
सेलवी - मै मिल चुकी हुं, वो एक स्त्री है जो स्वर्ग की अपसरा से भी अधिक सुन्दर है
हेलिड - सही में
सेलवी - हां हर आमावस की रात वो आती है
औलेड - क्या वो दिखायी देती है ?
सेलवी - हां
हेलिड - हमें भी देखनी है हो सकता हो वो मुझसे शादी कर ले
औलेड - मै भी ऐसी सुन्दर स्त्री को देखुंगा
औलेड - आज आमावस की रात है तो क्यो न हम जाये
हेलिड- यही करेंगे
सभी मान जाते है व वह योजना बना चले जाते है वह जाते वक्त सेलवी को बाये कह चले जाते है सेलवी उन्हे जाते हुए देख रही होती है तभी सेलवी के पीछे से एक आवाज आती है
सेलवी यह तुमने क्या कर दिया
सेलवी पीछे देखती है तो लौरेंस उसे देख हरा होता है
लौरेंस - तुमने उनके विनाश का मार्ग खोल दिया है
सेलवी - क्यो इसमे क्या है ?
लौरेंस - वो उनका तेज नही सह पायेंगे व उनकी जान को खतरा है
सेलवी - क्या, मुझे पहले क्यो नही बाताया ?
लौरेंस - मैने कहॉ तो था कि् किसी को बाताना नही
सेलवी - क्या हम कुछ कर सकते है ?
लौरेंस - नही
सेलवी ऐसी गलती कर देती है जो हानिकारक थी
अगले दिन सेलवी स्कूल जाती है तो उन्हे नही पाती है तभी टीचर को एक एपलीकेशन आती है कि् उन सबने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है सेलवी को अपनी गलती का अहसास हो जाता है वह बहाना बना स्कूल से छुटटी ले लेती है वह स्कूल से बाहर ही निकलती है कि् हवा का झोका आता है व लौरंस प्रकट हो जाता है
लौरेंस - मैने कहा था न
सेलवी - मुझे उनके पास जाना है
सेलवी हॉस्पिटल जाती है वहां वह उन्हे देखती है वह हैरान हो जाती है वह सब जोर-जोर से चीखे मार रहे होते है व ऐसा लग रहा था कि् वह कुछ देख डर गये है
सेलवी - इन्हे ठीक करो
लौरेंस - मै नही कर सकता
सेलवी - तो मै क्या करु ?
लौरेंस - इसे केवल वो ही ठीक कर सकतीं हैं
सेलवी - तो उन्हे बुला लाओ
लौरंस - मै एक राक्षस हुं, मुझे उनसे डर लगता है
सेलवी - तो मै क्या करु ?
लौरेंस - तुम उनका आवाहन करो लेक्नि अभी नही वो अभी तप कर रही होगीं सूरज डलने के बाद उनको बुलाना
सेलवी मान जाती है वह लौरंस के साथ जा जंगल मे रात मे जा उनका आवाहन करती है
CHAPTER EIGHT
HELP
सेलवी धुटनो के बल पर बैठ उनका स्मरण करती है तभी वहां चारो तरफ रोशनी हो जाती है लौरेंस हवा रुप ले वहां से भाग जाता है तभी सेलवी के सामने सारिन्द्री आ जाती हे
सारिन्द्री - मांगो क्या चाहिए ?
सेलवी - आपने मेरे दोस्तो के साथ ऐसा क्यो किया ?
सारिन्द्री - मैने कुछ नही किया है तुम्हारे दोस्तो मे बुराईया थी वह तुम्हारी तरह अच्छी भावना से नही आये थे इसीलिए जब उन्होने मुझे देखा तो वो मेरा तेज सह नही पाये
सेलवी - आप उन्हे ठीक कर दिजिये
सारिन्द्री - ठीक है लेक्नि याद रखना इससे उनमे साकारात्मक परिवर्तण आयेंगे वह सचचे हो जायेंगे
सेलवी- मुझे स्वीकार है
तभी सारिन्द्री सेलवी के साथ गायब हो व हॉस्पिटल मे प्रकट होती है सारिन्द्री हाथ उठा प्रकाश किरण उन पर डालती है व वह सब चिल्लाना बन्द कर गहरी निन्द मे सो जाते है
सारिन्द्री - अब जब यह जागेंगे तो ठीक होगें
वह जब सुबह उठते है तो ठीक हो जाते है व वह परिवर्तित हो जाते है सेलवी खुश हो जाती है इससे सेलवी लौरेंस को और मानने लगती है
CHAPTER NINE
THE WAR
गलोसी टाउन मे सभी खुश थे जिनमे सेलवी भी थी लेक्नि शायद अब वो समय आ गया था कि् जब उसे सबके सामने चुनाव करना था
सेलवी के दरवाजे पर कोई दस्तक देता है सेलवी जा खोलती है तो पाती है कि् कुछ लोग आये थे उन्होने काले वस्त्र पहने थे
आदमी - बेटी अपने फादर को बुलाओ कह दो चर्च के फादरी आये है
सेलवी ऐसा ही करती है सेलवी के पिता आते ही उन्हे अन्दर बुला बेठाते है
हेडेसटर - आईये फादर बताये क्या हुआ ?
फादर - बातो का समय नही है हमें खबर मिली है कि् यहां बड़े स्तर पर पिशाचो व भेड़ियो मे जंग होने वाली है जल्दी शहर खाली कराओ अब समय आ गया है अपना कर्तव्य निभाओ
हेडेसटर - ठीक है
हेडेसटर, सेलवी को अलग कमरे मे ले जाता है व समझाता है
सेलवी - यह क्या हो रहा है ?
हेडेसटर - मेरी बात बहुत घ्यान से सुन्ना, मै एक गुप्त संस्था का सदस्य हुं जो पिशाचो आदि से मानवता की रक्षा व उनका अस्तित्व छुपाता है समय विकट आने वाला है अच्छा है कि् तुम धर के अन्दर ही रहो
हेडेसटर जा फादरो से बात करने लगात है
फादर पीटर - हमें बहुत देर मे पता चला है इस ब्लड मून वो आपसी जंग करेंगे कही इसकी आंच मानवो का संहार न कर दे
हेडेसटर - तो निर्दश दें
फादर वोरेन - सबसे पहले पावर का यूस कर कोई बहाना बना शहर खाली कराओ याद रहे,यहां कोई नही होना चाहिए व तत्पश्चात हमें चर्च मे रह रक्षा करनी होगी
हेडेसटर - ठीक है
हेडेसटर ऐसा ही करता है लेक्नि क्यो कि् समय कम था वह सबको शहर से बाहर नही कर पाता, बाकि् को वह सक्त निर्देश दिला धर मे रुकने को ही कहता है व उनके धर की बन्दिश कर देता है तत्पश्चात वह रात आ जाती है सेलवी धर की झीरी से झाक कर देख रही होती है वह जो देखती है हैरान हो जाती है शहर मे सन्नाटा छाया होता है तभी भेड़ियो की आवाजे आती है वह शहर मे ऐसे धुम रहे होते है कि् मानो वह मांस के भुखे हो उन्हे देख कर ही भय लग रहा था
सेलवी आकाश की ओर देखती है तो उसे चांद लाल होता दिखायी देता है जैसे ही चांद लाल हो जाता है चारो ओर ठण्ड हो जाती है तभी सेलवी दुसरी ओर देखती है तो पाती है कि् वहां से आकर्षक वेषभूषा पहने कुछ लोग है उन्होने कोर्ट सूट पहना था व देख लग रहा था कि् वह इंसान नही, उनके होट लाल थे व स्कीन प्योर वाइट
वैम्पायर - भेड़ियो हार मान लो नही तो मारे जाओगे
भेड़िये - हम भेड़िये है हम पीछे नही हटते
वैम्पायर - मै आखिरी चेतावनी दे रहा हुं हम रॉयल बैच से नही जो तुम पर रहम दिखाये
तभी भेड़िये चिललाते है व आक्रमण कर देते है दोनो ओर से जंग होने लगती है एक भेड़िया दौड़ते हुए जाता है व एक वैम्पायर के दो हिस्से कर देता है तभी एक वैम्पायर आ वार करता है लेक्नि भेड़िया उसको मार देता है तभी उनमे से एक वैम्पायर हसते हुए आता है वह अचानक वह तेज गति मे प्रहार करता है वह भेड़िये को जा एक हमले में गिरा देता है तभी एक भेड़िया आ प्रहार करता है वह वैम्पायर, भेड़ियो के हाथ रोक उसकी छाती फाड़ देता है वह अपनी उंगलिया चटकाते हुए जाता है उसकी ओर कई भेड़िये आते है वह वैम्पायर हवा की तेजी से उनके सर काट देता है दूसरी ओर भेड़िये प्रहार करते है व वैमपायरो का नाश करते है इसी प्रकार दोनो जंग करते है
उनकी जंग ऐसी थी मानो विनाश हो रहा हो वैम्पायर हाथ उठा जमीन पर प्रहार करता है व जमीन टुट जाती है जैसी ही भेड़िया उसकी ओर आता है वह उसका सर काट हवा मे उठा देता है
वैम्पायर - यह है तुम भेड़ियो की औकात
तभी भेड़िये हमला कर उसे नोच देते है वह आपस मे ऐसे जंग कर कर रहे थे कि् एक-दूसरे के खून के प्यासे हो
वैम्पायर हसता है व हाथ उठा उनका माजाक उडाता है
वैम्पायर - अमर हुं मै मुझे कोई नही मार सकता मै दौ सो सालो से जी रहा हुं
भेड़िया उसकी ओर आता है वैम्पायर्र उसकी गर्दन दबौच जमीन मे धसीट उसको मार देता है वह भयानक ढंग से जंग कर रहे थे वह धमासान जंग करते है व आपस मे अघिकतर मारे जाते है जब कुछ ही बचते है तो वह रुक जाते है
वैम्पायर - भेड़ियो चले जाओ यहां से
भेड़िये - हम जा रहे है और जंगल पर हमारा अघिकार है क्योकि् वह हमारा है
वैम्पायर - ऐसा नही है वे हमारा है
भेड़िये - ठीक है तो अब इसका फैसला रॉयल सभा मे होगा
वह साथ मिल कही जाने लगते है तभी चर्च के फादरी आ जाते है
फादर पीटर - तुम नही जा सकते तुम सब अपवित्र आतमाये हो तुम्हारा नाश होना जरुरी है
वैम्पायर - लो खाना आ गया अब कुछ खा लेते है
वैम्पायर उनकी ओर आता है तभी वह उस पर पवित्र जल डाल देते है वह मर जाता है अचानक भेड़िये हमला कर देते है तभी फादर वौरेन आ चांदी के हथियार से उसे मार देते है वहां जंग हो जाती है हेडेसटर भी उसमे कुद जाता है लेक्नि वैम्पायर व भेड़िये एक हो जाते है व उन पर भारी हो जाते है वह उन सबको बन्दी बना लेते है सेलवी यह देख कर नीचे आती है तभी एक पिशाच उसे रोक लेता है वह उसे जमीन पर फेक देता है
वैम्पायर - आज तो पेट भर कर खाना मिलेगा
वह सब हसने लगते है भेड़िये चिललाने लगते है वैम्पायर सेलवी के पास आता है व उसे मारने ही वाला होता है कि् तभी सेलवी मदद के लिए पुकारती है
सेलवी - लौरेंस मेरी मदद करो
अचानक वैम्पायर का हाथ रुक जाता है उसके पीछे लौरेंस आ जाता है वह वैम्पायर के दो भाग कर देता है
अन्य वैम्पायर - कौन हो तुम अपना परिचय दो
लौरेंस - मेरा नाम है पवनवेग मे दुर्गा युग का राक्षस हुं मै वो ही जिसने अकेले ही कई राक्षस का संहार कर दिया था
वैम्पायर - अच्छा तो तुम हो वो राक्षस काफी सुना है तुम्हारे बारे में, इतने समय तक कहां छुपे थे जो भी हो अब तुम मारे जाओगे
लौरेंस - तुम नही जानते किस्से जंग करी है
तभी वैम्पायर व भेड़िये उस पर हमला कर देते है लेक्नि कुछ अजीब होता है लौरेंस को वह स्पर्श भी नही कर पाते
लौरेंस - मैने कहा था रुक जाओ
लौरेंस तुफान मे बदल जाता है व उन सबको हवा मे उठा देता है वह तुफान का आकार इतना विशाल था कि् ईमारत छोटी हो जाये वह अन्य राक्षसो को उसमे ले लेता है व उनका वध कर देता है
सेलवी - शातं हो जाओ लौरेंस नही ते हम सब भी मर जायेंगे
अचानक तुफान थम जाता है व वह सामान्य रुप मे आ जाता है
सेलवी - मुझे बचाने का शुक्रिया
लौरेंस - मै पहले ही आ जाता लेक्नि तुमने बुलाया ही नही
तभी अचानक लौरेंस गिर जाता है फादर उसपर पवित्र जल डालते है
फादर्स - यह राक्षस है इसका विनाश अनिवार्य है
सेलवी - यह मेरा दोस्त है
लौरंस - सेलवी तुम जाओ वैसे भी मै तुम्हारे लायक नही मेरा मर जाना ही ठीक है हम शायद इस जन्म मे नही मिल पाये
सेलवी चांदी का हथियार उठा लेती है
सेलवी - जाने दो उसे वरना मै तुम सबको मार दुगीं
फादर्स - तुम राक्षस के लिए हमको मारोगी
सेलवी - उसी ने आपकी जाने बचायी है
फादर्स - उसकी मुक्ति जरुरी है नही तो उसे जननत नही मिलेगी
सेलवी - यदि ईश्वर के लिए प्रेम हो तो धरती पर ही जन्नत मिल जायेगी अब छोड़ो उसे
फादर हट जाते है
फादर - तुम्हे इसके लिए नर्क मिलेगा
सेलवी - हां वो बाद की बाद मे देखंगें
हेडेसटर - बेटी मै तुम्हे नही बचा पाउंगा जिद त्याग दो
सेलवी - प्यार किया है सौदा नही
फादर - ठीक है चुनाव करो उसको चुनोगी या हमें,
सेलवी - मै ईश्वर को चुनुगीं व उनके बताये रास्ते को, ईश्वर ने यही बताया है इंसानीयत, केवल इंसान होने से नही आती बल्कि कर्मो से आती है यह भले ही राक्षस है लेक्नि इसके कर्म इंसानो से भी उत्तम है
फादर पीटर - यह बच्ची सही कह रही है
फादर औलेंस - नही यह गलत है, जाओ चली जाओ यहां से व जा के इस राक्षस के साथ ही रहो
हेडेसटर - नही बेटी
सेलवी - ठीक है मै जा रही हुं, पापा आज नही तो कल मुझे शादी कर के जाना ही था तो मै आज ही जा रही हुं
सेलवी, लौरेंस को लेती हैं व शहर से जंगल की ओर चली जाती है
हेडेसटर रोने लगता है फादर आ उसके कंधे पर हाथ रखता है
फादर - उसने यह मार्ग खुद चुना है
लौरेंस - सेलवी तुम ईश्वर के विरुध हो क्या ?
सेलवी अपने हाथ के हथियार को देखती है उसपर लिखा होता है
God is with you
उस पर ईसा मसी की तस्वीर बनी होती है
सेलवी - यह वो हि हथियार है जिससे आज आपकी जान बाचायी व देखो इस पर क्या लिखा है ताजुब की बात है मैने आज तक हथियार नही उठाया फिर भी इसे चला पायी क्योकि् यह ईश्वर की ईच्छा थी क्योकि् हम ईश्वर के बताये मार्ग पर ही है व वो हमारे साथ,
सेलवी लौरेंस को साहार देते हुए गहरे जंगल मे ले जाती है
लौरेंस - हम कहां जा रहे है ?
सेलवी - वही जहां हमारे लिए अभी भी स्थान है
जंगल मे अंदर की ओर जाने पर उन्हे एक जगह रोशनी दिखायी देती है वहां अदभुद संगीत बज रहा होता है लौरेंस डर जाता है सेलवी उसके कंधे पर हाथ रख सहारा देती है वह उस रोशनी के पास चले जाते है वहां हवा मे एक रोशनी का गोला चमक रहा होता है व संगीत उसी से बज रहा होता है वहां सारिन्द्री एक पत्थर के आसन पर लेट आसमान देख रही होती है
सारिन्द्री - आ गयी दोस्त
सेलवी जा,लौरेंस को ले उनके चरणो मे बैठ जाती है
तब से फिर कभी सेलवी या लौरेंस को नही देखा गया कुछ लोग कहते है कि् वह रोज माता दुर्गा की भोर के समय पूजा करने आते है सच्चाई चाहे कुछ भी हो लेक्नि फिर कभी उन्हे देखा नही गया वह कहां गये कौन उन्हे ले गया यह कोई नही जानता
लेखका - आकाश सिंह राजपूत
दोस्ता मैने यह कहानी स्वयं रची है मुझे आप लोगो के सार्पोट की जरुरत है मै कोई इतना बडा नाम नही कि् अपनी बुक छपवा सकू इसीलिए मैने ब्लॉगर की वेबसाइट को चुना है आप से निवेदन है कि् इसे शेयर करे लाइक करे व कमेंट करे
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